मुरली मनोहर जोशी बोले- 50 साल में भी साफ नहीं हो पाएगी गंगा

बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘नमामि गंगे’ पर अपनी सरकार से अलग रूख अख्तियार करते हुए शुक्रवार को कहा कि गंगा नदी की सफाई के लिए जिस तरह से परियोजना चलाई जा रही है, उससे अगले 50 साल में भी नदी साफ नहीं हो सकेगी.

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मुरली मनोहर जोशी (फाइल फोटो) मुरली मनोहर जोशी (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • वाराणसी,
  • 05 जून 2015,
  • अपडेटेड 10:38 PM IST

बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘नमामि गंगे’ पर अपनी सरकार से अलग रूख अख्तियार करते हुए शुक्रवार को कहा कि गंगा नदी की सफाई के लिए जिस तरह से परियोजना चलाई जा रही है, उससे अगले 50 साल में भी नदी साफ नहीं हो सकेगी.

निर्बाध जल प्रवाह जरूरी
स्वच्छ गंगा परियोजना
पर अपनी आपत्तियां जताते करते हुए जोशी ने कहा कि जब तक नदी में निर्बाध जल प्रवाह नहीं होता, गंगा की सफाई दूर का सपना होगा. उन्होंने ने कहा, ‘जब तक नदी में निर्बाध जल प्रवाह नहीं होता, गंगा की सफाई दूर का सपना होगा. जिस प्रकार नदी को छोटे हिस्सों में बांटकर, छोटे जलाशयों में बदलकर इसकी सफाई की जा रही है, नदी अगले 50 साल में भी साफ नहीं हो सकती.’ उन्होंने कहा कि गंगा हमारी जीवनरेखा है और गंगा को कोई खतरा हमारी संस्कृति और परंपरा के लिए खतरा होगा.

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गडकरी की परियोजना पर सवालिया निशान
जोशी ने गंगा में निर्बाध जल प्रवाह की वकालत की और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की अंतर्देशीय जलमार्ग परियोजना पर सवाल किए जिसमें भारी उत्पादों की ढुलाई के लिए गंगा नदी में बड़े बडे पोत चलाने की बात की गई है. उन्होंने कहा, ‘गंगा में जहाज चलाना तो दूर, बड़ी नाव भी नहीं चल पाएंगी, इस योजना को लागू करने से पहले गंगा की मौजूदा स्थिति की जांच करा लें.’

मदन मोहन मालवीय का दिया उदाहरण
मुरली मनोहर जोशी ने जहाजरानी मंत्रालय से पहले नदी की मौजूदा स्थिति तथा उसके भौगोलिक क्षेत्र पर गौर करने, फिर परियोजना के कार्यान्वयन पर फैसला करने की सलाह दी.’ उन्होंने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय ने नदी में जल प्रवाह को कायम रखने के लिए अंग्रेजों से संघर्ष किया था और यहां तक कि हरिद्वार में गंगा नदी में सतत प्रवाह का न्यूनतम स्तर कायम रखने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य कर दिया था. इसका अंग्रेजों के शासनकाल तक पालन होता था. लेकिन अब इसकी उपेक्षा की जा रही है.

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-इनपुट भाषा से

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