वो पत्रकार जो बने राष्ट्रपति, लिया था महात्मा गांधी का इंटरव्यू

के आर नारायणन भारत के 10वें राष्ट्रपति थे. आज ही के दिन उनका जन्म हुआ था. जानें- कैसे एक पत्रकार बन गया देश का राष्ट्रपति.

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K. R. Narayanan K. R. Narayanan

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 1:03 PM IST

  • पत्रकार जो बाद के दिनों में भारत के राष्ट्रपति बने
  • 15 किमी पैदल चलकर जाते थे स्कूल, ऐसे बने राष्ट्रपति

आज ही के रोज देश के 10वें राष्ट्रपति  के. आर नारायणन का जन्म हुआ था. वह प्रथम दलित राष्ट्रपति तथा प्रथम मलयाली व्यक्ति थे, जिन्हें देश का सर्वोच्च पद प्राप्त हुआ था. उनका जन्म 27 अक्टूबर, 1920 को हुआ था. के आर नारायणन शांत-सौम्य और धीर-गंभीर स्वभाव के व्यक्ति थे. 

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बचपन से ही उन्हें पढ़ने लिखने का शौक था. वह स्कूल जाने के क्रम में हर रोज 15 किमी पैदल चलकर जाते थे. वहीं  अक्सर फीस न चुका पाने की वजह से उन्हें क्लासरूम के बाहर ही लेक्चर सुनना पड़ता था. वे केरल विश्वविद्यालय में टॉपर रहे और वहां मिली स्कॉलरशिप की मदद से लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ने गए.

स्कूल के दौरान उनके पास पुस्तकें खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते थे. तब अपने छोटे भाई की सहायता के लिए के. आर. नारायणन नीलकांतन छात्रों से पुस्तकें मांगकर उनकी नकल उतारकर नारायणन को देते थे.

किया पत्रकार के रूप में काम

1944-45 में के.आर नारायणन ने बतौर पत्रकार 'द हिन्दू' और 'द टाइम्स ऑफ इण्डिया' में काम किया. आपको बता दें, बतौर पत्रकार उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का इंटरव्यू लिया था.  आपको बता दें, जब  के.आर नारायणन लंदन से पढ़ाई करके वापस आए तो उनके पास लस्की का एक पत्र था, जिसके माध्यम से पंडित नेहरू से परिचयात्मक मुलाकात संभव हुई थी. 

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इस संदर्भ में उन्होंने एक दिलचस्प क़िस्सा बयान किया- 'जब मैंने एल. एस. ई. का कोर्स समाप्त कर लिया तो लस्की ने मुझे पंडित नेहरू के नाम का एक परिचयात्मक पत्र प्रदान किया था. दिल्ली पहुंचने के बाद मैंने प्रधानमंत्री नेहरू से मुलाकात का समय ले लिया था. मैंने सोचा था कि मैं एक भारतीय विद्यार्थी हूं और लंदन से लौटा हूं, इस कारण मुझे मुलाकात का समय मिल सकता है.

राजनीतिक जीवन

के. आर नारायणन इंदिरा गांधी की वजह से राजनीति में आए. वह लगातार तीन लोकसभा चुनावों 1984, 1989 एवं 1991 में विजयी होकर संसद पहुंचे थे. कांग्रेसी सांसद बनने के बाद वह राजीव गांधी सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल में सम्मिलित किए गए. एक मंत्री के रूप में इन्होंने योजना (1985), विदेश मामले (1985-86) तथा विज्ञान एवं तकनीकी (1986-89) विभागों का कार्यभार संभाला.

1989-91 में जब कांग्रेस सत्ता से बाहर थी, तब श्री नारायणन विपक्षी सांसद की भूमिका में रहे. 1991 में जब पुन: कांग्रेस सत्ता में लौटी तो इन्हें कैबिनेट में सम्मिलित नहीं किया गया. नारायणन 21 अगस्त, 1992 को डॉ. शंकर दयाल शर्मा के राष्ट्रपति काल में उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे. इनका नाम प्राथमिक रूप से वी. पी. सिंह ने अनुमोदित किया था. पी. वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने भी इन्हें उम्मीदवार के रूप में हरी झंडी दिखा दी. 

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14 जुलाई, 1997 को हुए राष्ट्रपति चुनाव का नतीजा जब 17 जुलाई, 1997 को घोषित हुआ तो पता चला कि के.आर नारायणन को कुल मतों का 95 प्रतिशत प्राप्त हुआ था. वे साल 1997 में राष्ट्रपति बने. वे भारत के दसवें राष्ट्रपति थे. वे यह शीर्ष पद ग्रहण करने वाले एकमात्र दलित हैं.

निधन

के. आर. नारायणन का निधन 9 नवंबर, 2005 को नई दिल्ली में हुआ था. उन्हें न्यूमोनिया की शिकायत थी. जिसके बाद गुर्दों के काम न करने के कारण इनकी मृत्यु हो गई थी.

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