फिल्म का नाम: मेरठिया गैंगस्टर्स
डायरेक्टर: जीशान कादरी
स्टार कास्ट: जयदीप अहलावत ,मुकुल देव, आकाश दहिया, संजय मिश्रा, वंश भारद्वाज, चन्द्रचूड़ राय, जतिन सरना, शादाब कमल, नुशरत भरुचा, सौंदर्य शर्मा, इशिता
शर्मा, बृजेन्द्र काला, मलखान सिंह
अवधि: 129 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 2.5 स्टार
एक्टर, प्रोड्यूसर साथ ही गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 1 और 2 के स्क्रीनराइटर रह चुके जीशान कादरी ने अब डायरेक्शन में भी अपना हाथ आजमाया है और मेरठिया गैंगस्टर्स फिल्म बनाई है. लूटपाट, धमकी और वसूली की अक्सर होने वाली घटनाओं पर बेस्ड इस फिल्म की आइए समीक्षा करते हैं.
कहानी
उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के कॉलेज में पढ़ने वाले 6 दोस्तों निखिल (जयदीप अहलावत), अमित (आकाश दहिया), संजय फोरेनेर (जतिन सरना), गगन (वंश) ,राहुल
चैलेंजर (चंद्रचूड़), सनी (शादाब कमल) की ये कहानी है जिन्हें पढ़ाई के बाद नौकरी पाने के लिए कुछ गलत कदम उठाने पड़ते हैं और एक के बाद एक घटनाक्रम में
फसने लगते हैं, किडनेपिंग, गोलीबारी, लूटपाट और अंततः क्या होता है, इसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.
स्क्रिप्ट
पहली बार जीशान ने फिल्म की स्क्रिप्ट और डायलॉग के साथ-साथ डायरेक्शन में भी हाथ आजमाया है और यह स्क्रीन पर दिखाई भी पड़ता है. फिल्म की कहानी
शुरुआत में तो बांधे रखती है लेकिन अंततः दिशाहीन सी लगने लगती है ,हालांकि डायलॉग जबरदस्त है. जब भी एक्टर्स संवाद बोलते हैं तो लगता है की उसके पीछे
पुरजोर काम हुआ है. स्क्रिप्ट और बेहतर हो सकती थी और खासतौर से क्लाइमेक्स फीका सा दिखता है, जब आपका इंट्रेस्ट बढ़ने लगता है तभी कुछ ऐसा हो जाता है
की आप सोचने पर विवश हो जाते हैं कि आखिर ये था क्या? लेकिन पहली बार डायरेक्शन कर रहे जीशान का ये प्रयास सराहनीय है. मेरठ जैसे शहर में वसूली की
वारदात को पर्दे पर एंटरटेनमेंट के तौर पर दिखाने का कार्य भी काबिल ए तारीफ है, जिसे अक्सर बाकी फिल्मों में काफी गंभीर तरह से दिखाया जाता है.
अभिनय
फिल्म के हर किरदार को जीशान ने उतना ही तवज्जो दिया है जिस तरह से उनके गुरु अनुराग कश्यप ने 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के किरदारों को जगह दी थी. निखिल
(जयदीप अहलावत) , मामा (संजय मिश्रा) , मानसी ( नुशरत भरुचा), इंस्पेक्टर आर के सिंह (मुकुल देव) , अमित (आकाश दहिया), जयंतीलाल (बृजेन्द्र काला), संजय
फोरेनेर (जतिन सरना), गगन (वंश) ,राहुल चैलेंजर (चंद्रचूड़) ,त्यागी (मलखान), सनी (शादाब कमल) के साथ-साथ पूजा थाप (इशिता शर्मा) और अल्का (सौंदर्या) ने अपने
अपने किरदारों को उम्दा तरीके से निभाया है.
संगीत
फिल्म के गीत मौके की नजाकत के हिसाब से पिरोए तो गए हैं लेकिन उनकी वजह से फिल्म की गति पर काफी प्रभाव पड़ता है. वैसे इन गीतों का फेमस ना हो पाना
भी शायद इन्हें आलोचना का शिकार बनने पर विवश करता है.
कमजोर कड़ी
फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी सिर्फ इसकी बिखरी हुई स्क्रिप्ट है जिसकी वजह से फिल्म देखकर जब आप बाहर निकलते हैं तो इस फिल्म के सिर्फ संवाद और एक्टिंग
याद रहती है, कहानी विलुप्त सी जान पड़ती है.
क्यों देखें
2 घंटे 9 मिनट की फिल्म , बेहतरीन एक्टिंग और संवादों का मिश्रण है , एक बार जरूर देखकर अपनी राय दें.
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