फेसबुक-जियो डील की इनसाइड स्टोरी, भारी कर्ज से रिलायंस को मुक्त करने का प्लान

चकित करने वाली बात यह है कि यह सौदा ऐसे समय में हुआ है जब पूरी दुनिया की इकोनॉमी कोरोना वायरस के प्रकोप से डांवाडोल है. आखिर इसके पीछे रिलायंस की क्या मजबूरी हो सकती है? दोनों दिग्गज कंपनियों में एक डील हुई है जिसके तहत रिलायंस समूह की कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स में 43,574 करोड़ रुपये के निवेश से फेसबुक 9.99 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी.

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रिलायंस और फेसबुक के बीच हुई है बड़ी डील रिलायंस और फेसबुक के बीच हुई है बड़ी डील

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 5:30 PM IST

  • जियो प्लेटफॉर्म्स में फेसबुक करेगी 43,574 करोड़ का निवेश
  • रिलायंस इंडस्ट्रीज पर है करीब 1.53 लाख करोड़ का नेट कर्ज
  • कंपनी ने मार्च 2021 तक कर्जों से मुक्त होने का लक्ष्य रखा है

रिलायंस इंडस्ट्रीज और फेसबुक ने बुधवार को एक बड़ा ऐलान किया है. दोनों दिग्गज कंपनियों में एक डील हुई है जिसके तहत रिलायंस समूह की कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स में 43,574 करोड़ रुपये के निवेश से फेसबुक 9.99 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी. आखिर क्या है इस डील की अंदर की कहानी, आइए जानते हैं...

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चकित करने वाली बात यह है कि यह सौदा ऐसे समय में हुआ है जब पूरी दुनिया की इकोनॉमी कोरोना वायरस के प्रकोप से डांवाडोल है. आखिर इसके पीछे रिलायंस की क्या मजबूरी हो सकती है? असल में जियो को खड़ा करने के लिए रिलायंस ने ​साल 2010 से अब तक करीब 4 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है. लेकिन इस बार के सौदे से रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी को अपनी कंपनी को पूरी तरह से कर्जमुक्त करने की योजना को कारगर बनाने में मदद मिलेगी. गौरतलब है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने मार्च 2021 तक पूरी तरह से कर्जमुक्त होने का लक्ष्य रखा है.

जानकारों का कहना है कि कैपिटल गेन्स और इनकम टैक्स के बाद रिलायंस को इस सौदे से अंतत: करीब 38,000 करोड़ रुपये ही हासिल होंगे.

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पहले भी किए थे कई सौदे

हालांकि रिलायंस के लिहाज से यह सबसे बड़ी डील नहीं है. इसके पहले 2011 में ब्रिटेन की बीपी पीएलसी ने आरआईएल के तेल एवं गैस ब्लॉक में 30 फीसदी हिस्सेदारी करीब 7.2 अरब डॉलर में खरीदी थी. तेल अन्वेषण और उत्पादन में भारी नुकसान की वजह से कंपनी ने बाद में अपना कुछ निवेश बाहर निकाल लिया.

कंपनी ने किया है भारी खर्च

पिछले साल 11 अगस्त को रिलायंस इंडस्ट्रीज की सालाना महासभा (AGM) में मुकेश अंबानी ने शेयरधारकों को बताया था कि पिछले पांच साल में कंपनी ने 5.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है. उन्होंने बताया कि इसमें से 3.5 लाख करोड़ रुपये (तब तक) जियो को तैयार करने में लगे हैं. इसके अलावा करीब 1 लाख करोड़ रुपये पेट्रोकेमिकल कारोबार के विस्तार में लगाए गए हैं.

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बढ़ता गया कर्ज का बोझ

लेकिन इस भारी निवेश की वजह से पिछले एक दशक में रिलायंस के ऊपर कर्ज का बोझ 6 गुना बढ़कर 3.06 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. दिसंबर, 2019 तक रिलायंस के पास करीब 1.53 लाख करोड़ रुपये की नकदी थी, तो इसे निकालने के बाद कंपनी का शुद्ध कर्ज करीब 1.53 लाख करोड़ रुपये का होता है. मुकेश अंबानी ने एजीएम में कहा था कि वह चाहते हैं कि मार्च 2021 तक कंपनी के ऊपर कर्ज शून्य हो जाए.

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इस दिशा में कदम उठाते हुए रिलायंस ने सबसे पहले 2019 में दो इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट बनाए- डिजिटल फाइबर इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट और टावर इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने रिलायंस जियो का इंफ्राटेल फाइबर एवं टावर कारोबार और करीब 1.07 लाख करोड़ रुपये का कर्ज इन दोनों ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिया.

इसके अलावा एक अन्य सौदे में रिलायंस इंडस्ट्रीज के तेल एवं गैस कारोबार का करीब 20 फीसदी हिस्सा सऊदी अरब की दिग्गज कंपनी अरामको को 1.1 लाख करोड़ रुपये में बेचने का निर्णय हुआ है. हालांकि कोरोना संकट और कच्चे तेल में ऐतिहासिक गिरावट की वजह से इस सौदे को कारगर होने में देरी हो सकती है.

(www.businesstoday.in/ के इनपुट पर आधारित)

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