राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बचाने के लिए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को आखिरी मौका मिल सकता है. चुनाव आयोग टीएमसी, सीपीआई और एनसीपी को अपना पक्ष रखने के लिए बुला सकता है.
इसी साल लोकसभा चुनाव के बाद 19 जून को टीएमसी, सीपीआई और एनसीपी को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया था. अपने नोटिस में चुनाव आयोग ने पूछा था कि तयशुदा न्यूनतम वोट फीसदी और सीटें नहीं मिलने पर क्यों न आपका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया जाए? इस नोटिस का जवाब देते हुए टीएमसी और सीपीआई ने गुजारिश की थी कि 2024 के लोकसभा चुनाव तक उनसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस लेने का कोई फैसला न लिया जाए. आयोग सूत्रों के मुताबिक, पहले भी ऐसे मामलों में आयोग अमूमन जल्दबाजी नहीं करता और राहत दे देता है.
निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के मुताबिक किसी राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तभी मिलता है जब उसके उम्मीदवार लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार या अधिक राज्यों में कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करें. ऐसी पार्टी के लोकसभा में भी कम से कम चार सांसद होने चाहिए. साथ ही कुल लोकसभा सीटों की कम से कम दो प्रतिशत सीट होनी चाहिए और इसके उम्मीदवार कम से कम तीन राज्यों से आने चाहिए.
मौजूदा वक्त में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), बीएसपी, सीपीआई, माकपा, कांग्रेस, एनसीपी और नेशनल पीपल्स पार्टी ऑफ मेघायल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है.
संजय शर्मा