बड़े अफसरशाहों और नेताओं के बच्चों का ठिकाना है दिल्ली के जाने-माने स्कूलों में से एक संस्कृति स्कूल. बेशक यहां समाज के उच्च तबके के घरों के बच्चे पढऩे आते हैं लेकिन इसका खर्च आम आदमी यानी आपकी जेब से ही जाता है. स्कूल की सालाना बैलेंस शीट देखने पर पता चलता है कि विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों मसलन रक्षा, वित्त और रेलवे तथा कई राज्य सरकारों की ओर से स्कूल को अब तक करोड़ों रुपए दान के तौर पर दिए जा चुके हैं. इससे स्कूल के उन दावों की कलई खुल जाती है जिनमें छात्रों की फीस और सोसाइटी के सदस्यों की बदौलत स्कूल के चलने की बात कही जाती है.
दिल्ली के राजनयिक इलाके चाणक्यपुरी स्थित संस्कृति स्कूल को वरिष्ठ अफसरशाह और उनकी पत्नियां अपने स्वयंसेवी संगठन सिविल सर्विसेज सोसाइटी के जरिए चलाती हैं. स्कूल में 12-15 फीसदी सीटें ऐसे छात्रों के लिए हैं जो गैर-सरकारी सेवाओं की पृष्ठभूमि से आते हैं. हालांकि इनमें से अधिकतर सीटें नेताओं के बच्चों के खाते में चली जाती हैं, जिससे आम परिवार के बच्चों के लिए यहां दाखिला लगभग असंभव हो जाता है.
वित्त वर्ष 2011-12 की बैलेंस शीट से पता चलता है कि इसे विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, भारतीय रिजर्व बैंक और सत्ता के गलियारों में ताकतवर संस्थाओं से बिल्डिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के तौर पर 25 करोड़ रु. मिले हैं. 31 मार्च, 2012 तक की बैलेंस शीट (जिसमें 31 जुलाई, 2012 तक का ब्योरा है) में जानकारी दी गई है कि रक्षा और मानव संसाधन विकास मंत्रालय से इसे जहां 5-5 करोड़ रु. मिले हैं, वहीं वित्त मंत्रालय से बिल्डिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के लिए 3 करोड़ रु. आए. सबसे बड़ा दान 8.79 करोड़ रु. कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय से मिला है. इतना ही नहीं, पैसों की कमी का रोना रोने वाले रेलवे ने भी अपना बटुआ खोला और इस कोष में 20 लाख रु. दिए.
दानदाताओं का कालाचिट्ठा
दिलचस्प बात यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने इस फंड में एक-एक करोड़ रु. दिए. राज्यों में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक ने स्कूल को सबसे ज्यादा राशि यानी 25-25 लाख रु. दिए हैं जबकि केरल और उत्तराखंड ने 5-5 लाख रु. दिए, एक छोटे-से राज्य त्रिपुरा तक ने स्कूल के फंड में एक लाख रु. डाले.
दिल्ली सरकार की दिल्ली कल्याण समिति ने भी 35 लाख रु. दिए. इससे जाहिर हो जाता है कि आखिर क्यों दिल्ली के मंत्री और नेता इस एलीट स्कूल में अपने बच्चों का दाखिला कराने में सफल होते हैं. विभिन्न सेवाओं जैसे विदेश सेवा, विदेशी मामले और आइएएस/आइसीएस के अधिकारियों के पतियों और पत्नियों के संगठनों ने स्कूल की झोली में 10 लाख रु. दिए.
यही नहीं, केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने स्कूल को बिल्डिंग बनाने के लिए 7.69 एकड़ जमीन दिल्ली के महंगे चाणक्यपुरी इलाके में मात्र 2 रु. सालाना प्रीमियम पर मुहैया कराई. जबकि इसी इलाके में एक होटल को 3 एकड़ जमीन 600 करोड़ रु. से ज्यादा में दी गई है. मंत्रालय ने स्कूल के अनुरोध पर 1,500 वर्ग मीटर अतिरिक्त भूमि आवंटित कर दी. स्कूल की सोसाइटी फरवरी 1995 में बनी और आनन-फानन में यह जमीन उसी साल मई 1995 में दे दी गई. शहरी विकास मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, “सोसाइटी बनने से पहले ही यह जमीन स्कूल को देने पर सहमति हो गई थी.” स्कूल की प्रिंसिपल आभा सहगल ने मेल टुडे को बताया, “हमें हाल में सरकार से कोई ताजा फंड नहीं मिला है. हमें जो कुछ भी मिला वह सरकारी महकमों और मंत्रालयों से स्कूल शुरू होने के बाद समय बीतने के साथ मिला.”
स्कूल में सरकारी सेवाओं और गैर-सरकारी परिवारों के बच्चों के लिए अलग-अलग फीस ली जाती है. इसे सिविल और जनरल कैटगरी में रखा गया है. नर्सरी में दाखिले के समय सर्विस क्लास (सिविल) छात्र से 98,000 रु. लिए जाते हैं जबकि नॉन-सर्विस (जनरल) कैटगरी छात्र से नर्सरी के लिए ही 1.2 लाख रु. वसूले जाते हैं. सर्विस कैटगरी के एक छात्र के अभिभावक कहते हैं, “फीस का यह अंतर सभी कक्षाओं में बरकरार रहता है.” वे 65,000 रु. बतौर सालाना फीस दे रहे हैं, वहीं नॉन-सर्विस (जनरल) कैटगरी में पढ़ रहे उनके बच्चे के साथी को 20,000-25,000 रु. ज्यादा देने पड़ते हैं.
स्कूल के छात्रों को कई सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं, जिनमें कम भीड़-भाड़ वाली कक्षाएं काफी अहम हैं. स्कूल में नर्सरी से 12वीं कक्षा तक सिर्फ 2,763 छात्र हैं. गर्व से कहा जाता है कि इनके पास छात्रों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, बेहतरीन किताबों से भरी लाइब्रेरी, लैबोरेटरी, ऑडिटोरियम, स्विमिंग पूल, जिम्नेजियम और खेल के मैदान हैं.
सदस्यों के बारे में
स्कूल के बही-खातों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में उन्होंने 1.74 करोड़ रु. बतौर स्कूल फीस इकट्ठे किए थे. 1998 से जब से स्कूल खुला है, अब तक 17.31 करोड़ रु. बतौर स्कूल फीस कमाए जा चुके हैं. स्कूल अपनी आमदनी का एक हिस्सा कमजोर वर्ग के बच्चों को पढ़ाने पर खर्च करता है. उनके लिए यहां ‘उमंग’ नाम का स्कूल दोपहर में चलाया जाता है. स्कूल की कमेटी में करीब 20 सदस्य हैं, कैबिनेट सचिव अजित सेठ की पत्नी अमल सेठ, विदेश सचिव रंजन मथाई की पत्नी गीता मथाई और वर्तमान गृह सचिव आर.के. सिंह की पत्नी मुख्य सदस्य हैं. योजना आयोग की सचिव सिंधुश्री खुल्लर प्रबंध समिति में हैं, इसके अलावा आरबीआइ, रेलवे और रक्षा मंत्रालय के भी प्रतिनिधि हैं. (मेल टुडे)
मनीष पांडेय