वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए आम बजट पेश कर दिया है. जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहे मुताबिक बजट को लोकलुभावनी घोषणाओं से दूर रखा है.
मध्यवर्ग पिछले दो सालों से आयकर में छूट की उम्मीद कर रहा था. इस बार भी इस वर्ग की यह उम्मीद पूरी नहीं हुई है तो इस वर्ग के लिए एजुकेशन सेस की दरें बढ़ा दी गई हैं.
अब 3 फीसदी के बजाए अब 4 फीसदी एजुकेशन सेस देना होगा. अभी तक 3 फीसदी सेस में 2 फीसदी एजुकेशन और 1 फीसदी सीनियर सेकंडरी एजुकेशन सेस लगता था. 10 लाख रुपये या इससे ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों के लिए पर अब कुल 34 फीसदी टैक्स लगेगा.
15 लाख तक की आय पर टैक्स की देनदारी 2,625 रुपये पढ़ जाएगी तो 5 लाख रुपए से 10 लाख रुपये तक की सालाना आय वालों के लिए टैक्स की देनदारी 1,125 रुपये बढ़ जाएगी. 2.25 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की सालाना आय वालों के लिए टैक्स की देनदारी 125 रुपये बढ़ेगी.
तीन स्लैब में नहीं हुआ कोई बदलाव
इस समय देश में आयकर के तीन स्लैब हैं, जिनमें इस बजट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. अभी 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं है. 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये की सालाना आय पर 5 फीसदी टैक्स है. 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की सालाना आय पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना आय पर 30 फीसदी टैक्स लगता है. इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा कि एजुकेशन सेस को 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी करने से टैक्स के 11 हजार करोड़ अतिरिक्त रुपये जमा किये जा सकेंगे.
करदाताओं की संख्या 1.8 करोड़ बढ़ी
वित्त मंत्री ने इस दौरान कहा कि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान प्रत्यक्ष कर में 12.6 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. उन्होंने कहा कि करदाताओं की संख्या 6.47 करोड़ से बढ़ कर 8.27 करोड़ पर पहुंच गई है.
इसे वित्त मंत्री ने अपनी उपलब्धि के तौर पर गिनाया और कहा कि लिहाजा इससे साबित होता है कि केन्द्र सरकार के नोटबंदी के फैसले का ईमानदार टैक्सपेयर ने स्वागत किया है. जेटली ने कहा कि पिजम्पटिंव इनकम स्कीम के तहत 41 फीसदी अधिक रिटर्न फाइल किया गया है.
भारत सिंह