12वीं क्लास में माशूका ने ठुकराया, फिर मनोज मुंतशिर ने लिखी थी ये नज्म

मनोज ने बताया कि 1994 में स्कूल के दिनों में उन्हें पहली बार मोहब्बत हुई थी. मनोज ने बताया कि जब उन्हें पहली मोहब्बत हुई थी तो वह सिर्फ 17 साल के थे. उन्हें लगता था कि वह तूफानों का सीना चीर कर निकल जाएंगे.

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मनोज मुंतशिर मनोज मुंतशिर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2020,
  • अपडेटेड 8:39 PM IST

लॉकडाउन के दौरान इस बार साहित्य आज तक डिजिटल अंदाज में फैन्स के बीच पहुंचा है. ई-साहित्य आज तक के दूसरे दिन दिग्गज गीतकार और कहानीकार मनोज मुंतशिर ने बात की. पूरे सेशन में मनोज ने तमाम हल्के-फुल्के और गंभीर मुद्दों पर बात की. मनोज शुक्ला के मनोज मुंतशिर बनने की कहानी पूछे जाने पर उन्होंने अपनी उस पहली प्रेम कहानी के बारे में बताया जो शायद ही आपको पता हो.

मनोज ने बताया कि 1994 में स्कूल के दिनों में उन्हें पहली बार मोहब्बत हुई थी. मनोज ने बताया कि जब उन्हें पहली मोहब्बत हुई थी तो वह सिर्फ 17 साल के थे. उन्हें लगता था कि वह तूफानों का सीना चीर कर निकल जाएंगे. मनोज तब भी लिखने के शौकीन थे और उन्होंने बताया कि जब लोग आईआईटी जाने का सपना देखते थे तब वह मुंबई जाने का सपना देखा करते थे. मनोज ने बताया लोग उन्हें आवारा समझते थे क्योंकि वह फिल्मों में गाने लिखना चाहते थे.

मनोज ने बताया कि एक रोज उनकी माशूका उनके पास आईं और उन्होंने कहा कि मेरे कुछ फोटो और लेटर्स तुम्हारे पास हैं वो मुझे वापस कर दो. मनोज ने जब वजह पूछी तो उस लड़की ने बताया कि उसके पिता को मनोज पसंद नहीं थे. मनोज ने कहा कि दुनिया में किसी भी लड़की के पिता को उसका बॉयफ्रेंड पसंद नहीं होता है. पापा को समझा लिया जाएगा. लेकिन लड़की नहीं मानी. लड़की ने कहा कि तुम बहुत बड़े फैल्योर हो. तुम लाइफ में कुछ नहीं कर पाओगे.

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मनोज ने बताया कि लड़की के चले जाने पर उन्होंने गुस्से में एक नज्म लिखी जो कुछ इस तरह थी-
आंखों की चमक, जीने की महक, सांसों की रवानी वापस दे.
मैं तेरे खत लौटा दूंगा, तू मेरी जवानी वापस दे.
वो दिन भी कैसे दिन थे जब पलकों पर ख्वाब पिघलते थे.
जब शाम ढले, सूरज डूबे दिल के अंगारे जलते थे.
वो धूप छांव सब खाक हुई, यादों के चेहरे पीले हैं.
कल ख्वाबों की फसलें थी जहां वहां रेत के टीले हैं.
आंखों के दरिया सूख गए, ला इनका पानी वापस दे.
मैं तेरे खत लौटा दूंगा तू मेरी जवानी वापस दे.

12वीं क्लास में लिखी गई ये नज्म मनोज मुंतशिर की पहली कुछ लाइन्स थीं.

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