दशहरा-मुहर्रम साथ कैसे मनाएं, बिहार के इस जिले ने बनाया भाईचारा फॉर्मूला!

महनार में मुहर्रम के दौरान सभी मुस्लिम अखाड़ों ने बिना शोर-शराबा किए शांतिपूर्ण तरीके से जुलुस और ताजिया निकालने का फैसला किया है.

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महनार के जामा मस्जिद में लिया गया सामाजिक सौहार्द का फैसला महनार के जामा मस्जिद में लिया गया सामाजिक सौहार्द का फैसला

सुजीत झा

  • पटना,
  • 24 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:11 PM IST

पश्चिम बंगाल में दशहरा और मुहर्रम को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अदालत के बीच गतिरोध तो सभी ने देखा. लेकिन बिहार के वैशाली ने ऐसी मिसाल पेश की है, जिसकी सराहना पूरा देश करेगा.

त्यौहारी मौसम के बीच प्रशासन के सिर का सबसे बड़े दर्द है कि दशहरा और मुहर्रम एकसाथ शांतिपूर्ण तरीके से कैसे मने. लेकिन बिहार के वैशाली जिले में दशहरा और मुहर्रम साथ-साथ मनाने के लिए दोनों समुदायों ने आपसी समहति से एक मसौदा तैयार किया है.

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दोनों समुदायों ने आपसी सहमति से ऐसा फॉर्मूला निकाला है जिससे न तो आम नागरिकों के मन में कोई शंका रहें और न ही सरकार को कानून व्यवस्था को लेकर कोई सख्त कदम उठाना पड़े.

दुनिया के पहले लोकतंत्र का दावा करने वाले वैशाली के महनार में आपसी भाईचारे के साथ दशहरा और मुहर्रम साथ-साथ मनाने का फैसला किया गया है. महनार के जामा मस्जिद में कई मुस्लिम अखाड़ों के मौलानाओं ने बैठक कर शांतिपूर्ण ढंग से मुहर्रम और दशहरा साथ-साथ मनाने के लिए जो फैसला लिया वह मौजूदा हालात में पूरे देश के सामने नजीर बन सकता है.

महनार में मुहर्रम के दौरान सभी मुस्लिम अखाड़ों ने बिना शोर-शराबा किए शांतिपूर्ण तरीके से जुलुस और ताजिया निकालने का फैसला किया है. महनार जामा मस्जिद के इमाम ने बताया की फैसला सबकी मर्जी और सहमति से लिया गया है.

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जामा मस्जिद के इमाम मोहम्मद जैनुल अजमली ने कहा, "देखिए सभी लोगों के इत्तेफाक-राय से यही फैसला हुआ है कि इसबार ताजिया नहीं बनाया जाए और एक शांति जुलूस निकाला जाए. यह शांति जुलूस भी सभी लोग मिल कर और पूरी पाकीजगी के साथ निकालें. चुंकी हम मानते हैं कि हमारा मुल्क जो है जम्हूरी मुल्क है और उस बाग की तरह है जिसमें हर तरह के फूल हैं."

उन्होंने आगे कहा, "हिंदुस्तान हमारी जान है और सारे लोग हमारे भाई हैं. अगर हमारी किसी भी बात से या काम से हमारे भाई को तकलीफ हो तो यह अच्छा नहीं होता. तो क्यों न हम शांति जुलूस निकालें ताकि सब मिलजुल कर चलें और इससे किसी तरह का विवाद या खुराफात भी न पैदा होगा."

इस व्यवस्था पर सहमति बनाने के लिए इमाम साहब पिछले दो महीने से मेहनत कर रहे थे. जहां-जहां ताजिया बनता था वह वहां-वहां जाकर लोगों को समझा रहे थे और सभी के बीच सहमति बनाने की कोशिश कर रहे थे. मुस्लिम समुदाय के इस फैसले से वैशाली जिला प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है.

वैशाली की डीएम रचना पाटिल ने बताया कि इस साल दुर्गा पूजा और मुहर्रम में शांतिपूर्ण तरीके से जलूस निकालने वालों को पुरस्कार दिया जाएगा. साथ ही जिला प्रशासन ने किसी भी तरह के जुलूस-झांकी में डीजे बजाने पर पाबंदी लगा दी है.

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