राजस्थान में राजे रजवाड़ों का राज्य की राजनीति में खासा दबदबा रहा है. राजनीतिक लोगों की तरह राजघरानों की निष्ठा पार्टियों के साथ बदलती रहती है. इस बार वसुंधरा बनाम कांग्रेस के दिलचस्प मुकाबले में कई राजघरानों पर सबकी नजर है.
राजस्थान में सबसे बड़े घराने जयपुर की पूर्व राजकुमारी दीया सिंह का बीजेपी ने सवाई माधोपुर विधानसभा सीट से टिकट काट दिया है. हालांकि वसुंधरा राजे से बिगड़ते रिश्ते के बाद कहा जा रहा था कि दीया कुमारी खुद चुनाव नहीं लड़ सकती हैं. मगर यह भी सच है कि वसुंधरा राजे ने दीया कुमारी को सवाई माधोपुर सीट से चुनाव मैदान में उतारने की कोई पहल नहीं की, जबकि प्रभारियों ने इस सीट पर एक ही नाम दिया था.
वहीं कांग्रेस लगातार कोशिश कर रही है कि राजपूत चेहरे के नाम पर किस तरह से दीया कुमारी को पार्टी में लाया जाए. हालांकि दीया कुमारी कांग्रेस में जाने की संभावनाओं को खारिज कर रही हैं.
बीजेपी की रणनीति
दूसरी तरफ वसुंधरा राजे ने कांग्रेस के गढ़ जयपुर, कोटा राजघराने में सेंध लगा दी है. बताया जा रहा है कि लाडपुरा विधानसभा सीट से टिकट नहीं मिलने से नाराज कोटा के पूर्व सांसद कांग्रेस नेता इज्यराज सिंह बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. बीजेपी उनकी पत्नी कल्पना सिंह को, भवानी सिंह राजावत का टिकट काटकर लाडपुरा से अपना उम्मीदवार बना सकती है.
अगर ऐसा होता है तो कोटा के राजनीति में एक बड़ा फेरबदल होगा. जिस तरह से हाड़ौती में जसोल ठिकाने के राजकुमार मानवेंद्र सिंह को कांग्रेस लेकर गई है उसका बहुत कुछ असर कोटा राज घराने के बीजेपी में शामिल होने से खत्म हो जाएगा. मानवेंद्र को झालावाड़ भेजने की बड़ी वजह वहां डेढ़ लाख सोंधा राजपूतों की संख्या बताई जा रही है, लेकिन अब कोटा राज घराने के बीजेपी में शामिल होने की खबरों के बाद कांग्रेस को चुनौती मिल सकती है.
शरत कुमार / वरुण शैलेश