छठ पर्व 2017: ये हैं छठ पर्व से जुड़ी मान्यताएं

छठ का पर्व दिवाली के छठे दिन शुरू होता है, इसलिए इसे छठ पर्व कहा जाता है. इसे भगवान सूर्य की उपासना का महापर्व भी कहते हैं. बिहार और झारखंज में छठ पर्व ही एक ऐसा महापर्व है जिसे व्यापक स्तर पर मनाया जाता है.

Advertisement
representational image representational image

वंदना भारती

  • नई दिल्ली,
  • 25 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 10:12 AM IST

छठ का पर्व दिवाली के छठे दिन शुरू होता है, इसलिए इसे छठ पर्व कहा जाता है. इसे भगवान सूर्य की उपासना का महापर्व भी कहते हैं. बिहार और झारखंज में छठ पर्व ही एक ऐसा महापर्व है जिसे व्यापक स्तर पर मनाया जाता है. हालांकि अब इसकी धूम देश औऱ दुनिया में भी दिखआई देती है.

पर्व लगातार चार दिनों तक पूरी आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाता है. इसमें सूर्य की पूजा की जाती है. छठ पूजा के तीसरे और चौथे दिन निर्जला व्रत रखकर सूर्य पूजा करनी होती है. छठ पर्व में कई नियमों का पालन करने के साथ बहुत सी सावधानियां भी बरतनी होती हैं. तो आइय जानते हैं छठ से जुड़ी कुछ मान्यताएं और व्रत के लाभ.

Advertisement

छठ महापर्व से जुड़ी मान्यताएं:

एक मान्यता के अनुसार भगवान राम और माता सीता ने रावण वध के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी को उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की और अगले दिन यानी सप्तमी को उगते सूर्य की पूजा की और आशीर्वाद प्राप्त किया.

एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ की शुरुआत महाभारत काल में हुई और सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने यह पूजा की. कर्ण अंग प्रदेश यानी वर्तमान बिहार के भागलपुर के राजा थे. कर्ण घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देता था और इन्हीं की कृपा से वो परम योद्धा बना. छठ में आज भी अर्घ्य देने की परंपरा है. महाभारत काल में ही पांडवों की भार्या द्रौपदी के भी सूर्य उपासना करने का उल्लेख है जो अपने परिजनों के स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना के लिए नियमित रूप से यह पूजा करती थीं.

Advertisement

प्राचीन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अनुपम महापर्व को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की अराधना की जाती है. व्रत करने वाले मां गंगा और यमुना या किसी नदी या जलाशयों के किनारे अराधना करते हैं. इस पर्व में स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है. मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही घर में देवी षष्ठी (छठी मईया) का आगमन हो जाता है.

संतान प्राप्ति और लम्बी आयु:

छठ व्रत के संबंध में ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है. जिसके लिए इस व्रत को बेहद लाभकारी माना जाता है. ऐसा कहते हैं कि जिन्हें संतान प्राप्त नहीं हो रहा है उन्हें यह व्रत करने से संतान की प्राप्ति हो जाती है. इसके साथ ही जिनके संतान है वो भी संतान की लम्बी आयु के लिए इस व्रत को रखत सकते हैं.

असाध्य रोगों से मुक्ति:

छठ व्रत रखने वाले व्रतियों का मानना है कि इस व्रत को रखने से कुष्ट जैसे असाध्य रोग का समाधान हो जाता है. साथ पाचन तंत्र की समस्या से परेशान लोगों को लाभ मिलता है.

Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement