बिजली की कीमतों को कम करने के लिए DERC के पूर्व चेयरमैन करेंगे केजरीवाल की मदद

दिल्ली में बिजली की कीमतों को कम करने की बड़ी चुनौती से निपटने के लिए दिल्ली सरकार अब DERC के पूर्व चेयरमैन बिरजेंदर सिंह की मदद लेगी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को बिरजेंदर सिंह से करीब एक घंटे तक मुलाकात की. सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार ने ये तय किया है कि DERC के पूर्व चेयरमैन की सेवा दिल्ली के उपभोक्ताओं को 50 फीसदी कम कीमत पर बिजली उपलब्ध कराने में ली जा सकती है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 फरवरी 2015,
  • अपडेटेड 6:10 AM IST

दिल्ली में बिजली की कीमतों को कम करने की बड़ी चुनौती से निपटने के लिए दिल्ली सरकार अब DERC के पूर्व चेयरमैन बिरजेंदर सिंह की मदद लेगी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को बिरजेंदर सिंह से करीब एक घंटे तक मुलाकात की. सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार ने ये तय किया है कि DERC के पूर्व चेयरमैन की सेवा दिल्ली के उपभोक्ताओं को 50 फीसदी कम कीमत पर बिजली उपलब्ध कराने में ली जा सकती है.

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आपको बता दें कि बिरजेंदर सिंह वही हैं जिन्होंने साल 2010 में दिल्ली में बिजली की दर को करीब 23 फीसदी कम करने के प्रस्ताव को तैयार किया था. शुक्रवार को हुई इस मीटिंग से पहले मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसमें ये अनुमान लगाया गया था कि ऐसा करने पर तकरीबन 1400 करोड़ रुपये सालाना खर्च आएगा. गुरुवार को भी तमाम अलग-अलग विभागों ने प्रेजेंटेशन दिया था, जिसमें ऊर्जा विभाग ने भी बिजली की कीमतों को कम करने और गर्मियों में बिजली की स्थिति को बेहतर कैसे रखा जाए इस पर मंत्रियों को जानकारी दी थी.

लेकिन दिल्ली सरकार की आर्थिक स्थिति बहुत बेहतर नहीं है. लिहाजा सब्सिडी देकर राहत कितनी और कब तक दी जाएगी, इस पर अब तक सरकार ने कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है. इस बीच पूर्व DERC चेयरमैन बिरजेंदर सिंह से मदद मांगना एक बात साफ दिखाता है कि केजरीवाल सरकार एक ऐसे फॉर्मूले को निकालना चाहती है जिससे दिल्ली सरकार पर कम से कम वित्तीय बोझ पड़े और लोगों को सस्ती बिजली की राहत भी मिल सके. आशंका ये भी जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी हो सकती है और अगर ऐसा हुआ तो दिल्ली वालों को 50 फीसदी सब्सिडी देने के लिए 1400 करोड़ रुपये की जगह करीब 2 हजार करोड़ रुपये खर्च करना होगा. जिसकी वजह से दिल्ली सरकार मुसीबत में पड़ सकती है.

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गौरतलब है कि बिरजेंदर सिंह साल 2010 में उस वक्त DERC के मुखिया थे, जब आयोग ने बिजली की कीमत 20 फीसदी से ज्यादा कम करने का प्रस्ताव दिया था. उन्होंने तब ये भी दलील दी थी कि प्राइवेट बिजली कंपनियों की ये दलील कि उन्हें घाटा हो रहा है सही नहीं है. तब बिरजेंदर सिंह के मुताबिक बिजली कंपनियों को तकरीबन साढ़े तीन हजार करोड़ का फायदा हो रहा था, जिसके बारे में तब DERC चेयरमैन ने तब की शीला सरकार को चिट्ठी भी लिखी थी. लेकिन DERC बिजली के दामों की कमी का कोई आदेश देता उससे पहले ही शीला सरकार ने 4 मई 2010 को इस आदेश पर रोक लगा दी. सितंबर 2010 में बिरजेंदर सिंह रिटायर हो गए और तब से लेकर अब तक बिजली की कीमतें दिल्ली में लगातार बढ़ रही हैं और बिजली एक बड़ा सियासी मुद्दा बन गया.

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