क्या मुस्लिम महिलाएं जिम में जाकर वर्क आउट कर सकती हैं? देवबंद के मदरसा जामिया हुसैनिया के मुफ्ती तारिक कासमी का कहना है कि मुस्लिम महिलाएं ऐसा कर सकती हैं बशर्ते कि कुछ शर्तों का पालन करें.
मुफ्ती के मुताबिक जो औरतें शरीर को फिट रखने के लिए जिम जाती हैं, इस्लाम में इसके लिए गुंजाइश हो सकती है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वहां कोई गैर शरीय अमल ना होता हो. इस्लाम के खिलाफ कोई चीज ना होती हो. वहां पर्दे का भी माकूल इंतजाम होना चाहिए.
नहीं होना चाहिए गाना-बजाना
मुफ्ती ने कहा कि जब औरतें जिम में मौजूद हों तो वहां मर्द की मौजूदगी नहीं होनी चाहिए. साथ ही कोई गाना-बजाना भी नहीं होना चाहिए. मुफ्ती ने ये भी कहा कि दो औरतें भी जिम में मौजूद हों तो एक दूसरे की सतर (जिस्म) को ना देखें. इसका अर्थ ये है कि औरतों का एक-दूसरे के सामने भी शरीर का कोई हिस्सा खुला ना हो.
मुफ्ती ने कहा, ‘अगर इन सब बातों का पालन करते हुए महिलाएं खुद को फिट रखने के लिए जिम जाती हैं तो ये मेरे हिसाब से बिल्कुल दुरुस्त होना चाहिए.’
स्वास्थ्य के लिए मुस्लिम महिलाओं में भी जागरूकता बढ़ी है. बीते दिनों भोपाल से खबर आई थी कि वहां मुस्लिम महिलाएं जिम में भी हिजाब और बुर्के में रह कर वर्कआउट कर रही हैं. उनकी सहूलियत के लिए जिम में महिला ट्रेनर को रखा गया है. भोपाल में 70 लाख की लागत से बने सरकारी जिम की धूम मची है. जिम में मुस्लिम महिलाओं के लिए किए गए हैं खास इंतजाम.
बड़ी संख्या में मुस्लिम युवतियों ने जिम में दिलचस्पी दिखाई है. वर्कआउट अंडर बुर्का का पैगाम अब दूसरी महिलाओं को भी फिटनेस की ओर जागरूक कर रहा है और यह महिलाओं के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है. मुस्लिम महिलाओं का यह तरीका बतलाता है कि वह किसी भी मैदान में पीछे नहीं रहना चाहती और वे बुर्के में रह कर भी बहुत कुछ कर सकती हैं.
दिनेश अग्रहरि / खुशदीप सहगल