राजधानी में लगातार बढ़ते डेंगू चिकनगुनिया के मामले लोगों में दहशत फैला रहे हैं. अब तक कुल 1724 चिकनगुनिया और 1158 डेंगू के मामले सामने आने के बाद एमसीडी ने न सिर्फ अपने एक्शन प्लान को तेज किया है, बल्कि अपने फील्ड वर्कर्स पर एक दिन में ज्यादा से ज्यादा घरों को चेक करने की जिम्मेदारी भी बढ़ा दी है.
पहले जहां एक समय में फील्ड वर्कर्स 50 घरों को चेक करते थे, वहीं आजकल 150 से ज्यादा घरों में ब्रीडिंग चेकिंग और फ्यूमिगेशन का काम करने की हिदायत है. एमसीडी के पास इन दिनों सबसे बड़ी चुनौती है लोगों की मदद पाना. क्योंकि एमसीडी स्टाफ को कई बार लोग अपने घरों में आने नहीं देते.
एमसीडी स्टाफ डेंगू-चिकनगुनिया के जागरूकता अभियान को दो चरण में अंजाम देते हैं. एक टीम घर-घर जाकर ब्रीडिंग चेकिंग और फॉगिंग करती है. फिर दूसरी टीम पहले टीम का काम चेक करती है. मलेरिया इंस्पेक्टर बीर सिंह के मुताबिक फॉगिंग करने के लिए लोगों का सहयोग बहुत जरूरी होता है, जो हर बार नहीं मिलता है.
नियम के मुताबिक फॉगिंग के बाद कम से कम आधे घंटे तक घर के अंदर नहीं जाना चाहिए. साथ ही खाने-पीने की चीजें भी ढंकनी पड़ती है. कई बार लोग एमसीडी स्टाफ को घर के बाहर ही फॉगिंग करके जाने के लिए बोल देते हैं. जबकि मलेरिया इंस्पेक्टर के मुताबिक घर के अंदर ब्रीडिंग की संभावना ज्यादा रहती है.
एमसीडी के हेल्थ डिपार्टमेंट के इंटमोलॉजिस्ट डॉ. पृथ्वी के मुताबिक प्रेशर तो बहुत है और लोगों का सहयोग कम. ऐसे में लोगों से रिक्वेस्ट करनी पड़ती हैं. इसमे समय बहुत बर्बाद होता है. कुल मिलाकर डेंगू-चिकनगुनिया को लेकर पैदा हुए ये हालात चिंता का विषय है.
लोगों के मुताबिक एमसीडी का ये एक्शन प्लान अभी तेज हुआ है, जबकि ये बीमारियां हर साल आती है और हर साल लोग मरते हैं. अब सवाल यही है कि आखिर जब इन बीमारियों को रोकना एमसीडी के हाथ में है तो भला एमसीडी इस तरह की स्थिति का इंतजार क्यों करती है.
केशव कुमार / प्रियंका सिंह