दिल्ली की थोक मंडियां कैशलेस से दूर, किसानों को डिजिटल ट्रांजेक्शन की नहीं है जानकारी

दिल्ली में तीन सब्जियों की थोक बडी मंडियां हैं- गाजीपुर, ओखला और आजादपुर. यहां रोजाना यूपी हरियाणा के सीमावर्ती जिलों से सैकडों किसान अपना माल बेचने आते हैं. पूरा लेनदेन कैश से ही होता है, यहां कोई कैशलेस के बारे में बात भी नहीं कर रहा.

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आजादपुर सब्जी मंडी आजादपुर सब्जी मंडी

अंजलि कर्मकार / अंकित यादव

  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 8:31 PM IST

भले ही देशभर में कैशलेस व्यवस्था तेजी से फैल रही है. चाय की छोटी दुकान से लेकर दूध, सब्जीवाले तक, हर तरफ ई-वालेट का जमाना आ गया. लेकिन, दिल्ली में ही ऐसी कई जगह हैं, जहां कैशलेस होना नामुमकिन सा है. दिल्ली की थोक सब्जी मंडियों में ज्यादातर कैश से ही पेमेंट हो रहा है.

दिल्ली में तीन सब्जियों की थोक बडी मंडियां हैं- गाजीपुर, ओखला और आजादपुर. यहां रोजाना यूपी हरियाणा के सीमावर्ती जिलों से सैकडों किसान अपना माल बेचने आते हैं. पूरा लेनदेन कैश से ही होता है, यहां कोई कैशलेस के बारे में बात भी नहीं कर रहा.

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दरअसल, किसानों के पास ना तो कार्ड है ना स्मार्टफोन. यहां तो कई लोगों के पास बैंक खाते तक नहीं हैं. अधिकतर को तो जानकारी ही नहीं है कि डिजिटल ट्रांजेक्शन कैसे होता है. रोज की खरीददारी और बिक्री मे़ बैंक और एटीएम जाने का टाइम नहीं है. वहीं, सब्जी के काम में ज्यादातर अनपढ़ लोग हैं.

हालांकि, कुछ युवा आढ़तियों का कहना है कि कल को बदलाव जरूर आएगा और मोबाइल से पेमेंट की शुरुआत भी की जाएगी. दुकानदार का कहना है कि ग्राहक कहते तो है कि पेमेंट ई वालेट से ले लो, पर हमें माल खरीदने के लिए मंडी वालों को कैश में ही देना पड़ता है. ऐसे में हम भी केवल कैश ले रहे हैं.

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