दिल्ली दुनिया की हरी-भरी राजधानियों में से एक है. यहां की मेट्रो में हर दिन लगभग 24 लाख लोग सफर करते हैं. साथ ही दिल्ली में सीएनजी से चलने वाली बसें और अन्य ईको फ्रेंडली वाहन भी चलाए जा रहे हैं. इसके बावजूद दिल्ली देश का सबसे ज्यादा प्रदूषण वाला शहर है.
विज्ञान व तकनीकी मंत्रालय के एक ताजा अध्ययन के मुताबिक, दिल्ली का वातावरण स्वास्थ्य के लिहाज बेहद खतरनाक है. दिल्ली की फिजा में आउटडोर पार्टिक्युलेट मैटर (पीएम) की मात्रा सामान्य से कहीं ज्यादा है.
IIT दिल्ली के सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंसेज में असिसटेंट प्रोफेसर साग्निक डे के मुतबिक, ' पिछले दस सालों में दिल्ली में प्रदूषण 21 फीसदी बढ़ गया है और इसमें बढ़ोतरी लगातार जारी है. दिल्ली के वातावरण में दिन के 50 फीसदी से भी अधिक समय में प्रदूषण की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. यह प्रदूषण इस कदर खतरनाक है कि ये सांस, हार्ट और दूसरी अन्य गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं.
अध्ययन से पता चला है कि दिल्ली के अलावा मेरठ, कानपुर, आगरा, पटना, कोलकाता और मुंबई भी प्रदूषण की वजह से खतरनाक होता जा रहा है.
इस अध्ययन का मकसद ग्रामीण और शहरी इलाकों में प्रदूषण की मात्रा और इसके दुष्प्रभाव का पता लगाना है ताकि एक नेशनल हेल्थ डाटाबेस तैयार किया जा सके. अध्ययन में बताया गया है कि पीएम (पार्टिक्युलेट मैटर) 2.5 आकार के कण की मात्रा तेजी से बढ़ रही है जो श्वसन तंत्र में बहुत गहराई तक जा सकती हैं. गौरतलब है कि हवा में मौजूद वे कण जो सांस के साथ अंदर जा सकते हैं, उन्हें पार्टिक्युलेट मैटर (पीएम) कहा जाता है.
इस रिसर्च में IIT दिल्ली, IIT कानपुर, यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनियोस और कनाडा के यूएस एंड डलहौजी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने भाग लिया. वैज्ञानिकों ने रिमोट सेंसिंग तकनीक की मदद से प्रदूषण के लिहाज से भारत में 5 बड़े जोन का भी पता लगाया. ये रिसर्च देश के 11 राज्यों- पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में किए गए.
कुछ दिन पहले ही जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च में भी कहा गया है कि दिल्ली की फिजा कैंसर पैदा करने वाले कणों से भरी हुई है. दिल्ली के वातावरण में निकेल, कैडमियम और लेड जैसी धातुओं के कण काफी ज्यादा हैं जो सांस के साथ भीतर जाकर कैंसर और दूसरी गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं.
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