राजधानी दिल्ली में बच्चों से यौन शोषण के चार हजार से भी अधिक मामले लंबित है. इस मामले मे गंभीर हाई कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि जिस हिसाब से इन मामलों का निपटारा हो रहा है उसे देखते हुए इनकी सुनवाई के लिए नए कोर्ट के गठन पर विचार किया जाना जरुरी है. कोर्ट का मानना है कि यह बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है और इस तरह के मामलों का निपटारा समय पर करना जरूरी है. कोर्ट यौन शोषण मामलों को लेकर बचपन बचाओ आंदोलन(एनजीओ) की तरफ से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील एचएस फुलका ने कोर्ट को डीएलएसए (दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि दिल्ली में 31 जुलाई तक पॉक्सो की 11 अदालतों में बच्चों से यौन शोषण के 4274 मामले लंबित थे. उनमें से जनवरी से 31 जुलाई तक केवल 449 मामलों का ही निपटारा किया जा सका है.
याचिकाकर्ता का तर्क था कि अगर इसी रफ़्तार से इन मामलों की सुनवाई हुई तो फिर इन मामलों के निपटारे में दस साल लग जाएंगें और इस दौरान हजारों नए मामले आ जाएंगें. ऐसे में कोर्ट इन सभी 11 अदालतों को पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत बना दें और इन अदालतों में अन्य मामले न भेजे जाए. जिससे सुनवाई जल्द पूरी हो और यहां लंबित मामलों का जल्द निपटारा हो सके.
सबा नाज़ / पूनम शर्मा