दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच चल रही खींचातानी में दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को झटका दिया है. हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि नियुक्ति का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहेगा, दिल्ली सरकार उन्हें सिर्फ सुझाव भेज सकती है.
अंतिम फैसला लेने का अधिकार LG को
हाई कोर्ट ने गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन पर भी रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली सरकार नियुक्ति को लेकर उपराज्यपाल को अपने सुझाव भेज सकती है, लेकिन सुझाव को मानना या न मानना उनका अधिकार है. अदालत ने कहा कि अंतिम फैसला लेने का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहेगा.
ACB मामले में SC ने दिल्ली सरकार से मांगा जवाब
इससे पहले एंटी करप्शन ब्यूरो की शक्तियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ही दिल्ली की केजरीवाल सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. केंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने AAP सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा. हालांकि इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के पिछले फैसले पर स्टे नहीं लगाया गया है.
केजरीवाल सरकार ने दायर की थी याचिका
नौकरशाहों की नियुक्ति को लेकर केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि उपराज्यपाल को दिल्ली में ट्रांसफर और पोस्टिंग का पूरा अधिकार है और वह 'चाहें तो' मुख्यमंत्री से सलाह ले सकते हैं. दिल्ली सरकार ने इस नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी, लेकिन केजरीवाल सरकार को उससे कोई फायदा नहीं नहीं हुआ.
विधानसभा में प्रस्ताव पारित
इससे पहले दिल्ली विधानसभा ने नोटिफिकेशन को 'तालिबानी' बताते हुए इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया. दिल्ली विधानसभा ने विधानसभा सत्र के पहले दिन AAP विधायक सोमनाथ भारती की ओर से पेश निजी प्रस्ताव पर तीन विधायकों की ओर से पेश किए गए चार संशोधनों को स्वीकार कर लिया. AAP विधायक सोमनाथ भारती ने बुधवार को एक निजी सदस्य प्रस्ताव पेश किया था और केंद्र की नोटिफिकेशन को अवैध और अमान्य बताया था. प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि यह सदन सरकार को सिफारिश करती है कि वह एनसीटी लोकसेवा आयोग के गठन के लिए कानून लाए.
तालिबानी है यह नोटिफिकेशन: सिसोदिया
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि केंद्र भ्रष्टाचार के खिलाफ दिल्ली सरकार की जंग से डरी हुई है और इस तरह की नोटिफिकेशन संविधान का अपमान है. विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए सिसोदिया ने कहा कि केंद्र की अधिसूचना दिल्ली विधानसभा के अस्तित्व को खतरा है और मौजूदा स्थिति 125 साल पुराने ब्रिटिश शासन के दौरान की स्थिति से भी खराब है.
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