'ई-वे बिल' के पक्ष में नहीं दिल्ली सरकार, आज से देशभर में होना था लागू

जीएसटी काउंसिल के नियम के तहत 3 जून तक सभी राज्यों में इंट्रा-स्टेट ई-वे बिल लागू किया जाना है. जीएसटी काउंसिल, केंद्र सरकार के अधीन है, जो सभी राज्यों में जीएसटी का काम देखती है. जीएसटी राज्य का टैक्स नहीं है, इसलिए सभी राज्य जीएसटी काउंसिल के नियमों से बंधे हुए हैं. नियम के तहत सभी राज्यों को इंट्रा स्टेट ई-वे बिल लागू करना अनिवार्य है.

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मनीष सिसोदिया मनीष सिसोदिया

अजीत तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2018,
  • अपडेटेड 8:49 PM IST

दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने 'ई वे बिल' को लेकर असहमति जताई है. सूत्रों की मानें तो सरकार में वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया जीएसटी बैठकों के दौरान 'ई-वे बिल' का विरोध करते रहे हैं. इस बीच व्यापारियों ने जीएसटी अधिकारियों से मुलाकात कर इंस्ट्रा स्टेट ई-वे बिल में बदलाव की मांग की है.

जीएसटी काउंसिल के नियम के तहत 3 जून तक सभी राज्यों में इंट्रा-स्टेट ई-वे बिल लागू किया जाना है. जीएसटी काउंसिल, केंद्र सरकार के अधीन है, जो सभी राज्यों में जीएसटी का काम देखती है. जीएसटी राज्य का टैक्स नहीं है, इसलिए सभी राज्य जीएसटी काउंसिल के नियमों से बंधे हुए हैं. नियम के तहत सभी राज्यों को इंट्रा स्टेट ई-वे बिल लागू करना अनिवार्य है.

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किसी भी एक राज्य के अंदर माल को एक जगह से दूसरी जगह भेजने पर लगने वाले इंट्रा-स्टेट ई-वे बिल को लागू करने की अंतिम तिथि 3 जून है. दिल्ली को छोड़ देश के अन्य सभी राज्य इंट्रा स्टेट ई-वे बिल लागू करने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर चुके हैं.

सूत्रों के मुताबिक दिल्ली सरकार 'ई वे बिल' के पक्ष में नहीं हैं लेकिन जीएसटी काउंसिल के नियमों के चलते वह भी इसके लिए बाध्य है यही कारण है कि इसकी अंतिम तारीख 3 जून होने के बावजूद दिल्ली सरकार ने इंस्ट्रा स्टेट ई वे बिल को लागू करने के लिए अब तक नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है जबकि देश के अन्य सभी राज्य इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर चुके हैं.

दिल्ली टैक्स डिपार्टमेंट ने व्यापारियों के साथ एक बैठक भी की है. बैठक में व्यापारियों ने मांग रखी है कि 'ई वे बिल' लागू ना हो और अगर लागू होता भी है तो इसमें जरूरी संशोधन करके इसका सरलीकरण किया जाए. आम आदमी पार्टी ट्रेड विंग के संयोजक बृजेश गोयल का कहना है कि दिल्ली सरकार 'ई वे बिल' लागू करने को लेकर किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं है और ऐसे में सरकार ने व्यापारियों से सलाह के बाद अंतिम निर्णय लेने का वादा किया है.

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आम आदमी पार्टी ट्रेड विंग के  मुताबिक टैक्स अधिकारियों ने यह आश्वासन दिया कि उचित मांगों को ध्यान में रखते हुए जरूरी संशोधनों के बाद ही बिजनेस फ्रेंडली ई-वे बिल लागू किया जाएगा.

व्यापारी वर्ग की मांग

व्यापारी वर्ग की मांग है कि व्यापारी और ग्राहक के बीच होने वाले लेनदेन के लिए छूट दी जाए.  क्योंकि जब दो व्यापारीयों के बीच व्यापार होता है तो उन्हें एक दूसरे की जानकारी होती है. लेकिन जब कोई ग्राहक गलत जानकारी देकर सामान खरीदता है, और रास्ते में माल अधिकारी पकड़ लेते हैं तो जुर्माना देना या जवाबदेही दुकानदार की होती है.

इसके अलावा रोजमर्रा की ज़रूरी चीजों जैसे दूध, दाल, चावल या अनाज को 'ई वे बिल' के छूट के दायरे में लाना चाहिए. आम आदमी पार्टी चाहती है कि 'ई वे बिल' में मिलने वाली 50 हजार तक की सीमा को बढ़ाया जाए. दरअसल जीएसटी काउंसिल नियम के मुताबिक ई वे बिल 50 हजार से अधिक का सामान खरीदने पर ही तैयार किया जा सकेगा.

व्यापारियों की समस्याएं

अधिकारियों के साथ बैठक में व्यापारियों ने 'ई वे बिल' से आने वाली तकनीकी समस्याओं को ज़िक्र किया. चांदनी चौक, कश्मीरी गेट, खारी बावली, नया बाज़ार, सदर बाज़ार में इंटरनेट की बहुत बड़ी दिक्कत है जबकि ई वे बिल पूरी तरह इंटरनेट पर आधारित है. ई वे बिल में माल बेचने वाले की जानकारी ऑनलाइन देनी पड़ती है जैसे गाड़ी नंबर, पता, जीएसटी नंबर. ई वे बिल से आम व्यापारी को सबसे ज्यादा मुश्किल होगी.

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