दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने संवाद एवं विकास आयोग दिल्ली (डीडीसीडी) को दिल्ली सरकार में राजस्व कलेक्शन को सुधारने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं. डीडीसीडी को स्टडी करने के लिए क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञों और संबंधित संगठनों से परामर्श कर एक डिटेल स्टडी दो महीने के अंदर सौंपनी होगी.
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उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मुताबिक कोविड-19 महामारी ने दिल्ली में सरकारी राजस्व पर काफी प्रभाव डाला है और इसलिए राजस्व वृद्धि की दिशा में हर संभव प्रयास किए जाने की आवश्यकता है ताकि सरकार दिल्लीवालों के हित के लिए सभी आवश्यक कार्य और कार्यक्रमों को पूरा कर सके. उपमुख्यमंत्री ने 2019-20 के लिए दिल्ली के आर्थिक सर्वेक्षण का भी संज्ञान लिया. सरकार के मुताबिक देश में प्रति व्यक्ति उच्च आय वाले राज्यों में से दिल्ली एक है.
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2018-19 में जीएसडीपी (4.73 %) का प्रतिशत हमारे टैक्स राजस्व के मामले में 19वें स्थान पर था. 2019-20 (बीई) में जीएसडीपी का प्रतिशत टैक्स राजस्व के रूप में उत्तर प्रदेश में (9.1%), केरल (7.7%), राजस्थान (7.2%), महाराष्ट्र (7.1%) और आंध्र प्रदेश (7.0%) है. अगर केवल दिल्ली के आंकड़े देखे तो वर्ष 2009-10 में दिल्ली का टैक्स राजस्व जीएसडीपी (ग्रास स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट) का 6.18 प्रतिशत है.
दिल्ली में घट रहा टैक्स कलेक्शन
जबकि वर्ष 2014-15 में यह 5.38 प्रतिशत और 2018-19 में गिरकर 4.73 प्रतिशत हो गया. इसकी तुलना में देश के अन्य राज्यों का एवरेज टैक्स कलेक्शन जीएसडीपी के प्रतिशत का वर्ष 2009-10 में 5.94 प्रतिशत था, जो 2014-15 में बढ़कर 6.25 प्रतिशत और वर्ष 2018-19 में 6.69 फीसद हो गया. इससे साफ है कि आंकड़ों का हवाला देते हुए सरकार ने बताया है कि दिल्ली में टैक्स कलेक्शन घट रहा, जबकि अन्य प्रदेशों में बढ़ रहा है.
डीडीसी सरकार के कर-संबंधी सभी प्रासंगिक डेटा का विश्लेषण करके टैक्स में योगदान देने वाले सभी कारणों पर एक विस्तृत अध्ययन कर सकती है और सरकार में राजस्व के आधार को बेहतर बनाने के लिए किए जाने वाले दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकताओं पर सुझाव दे सकती है.
पंकज जैन