कन्हैया कुमार बोले- हर पेशे के अपराधियों को अपने फायदे के लिए संरक्षण देती है सरकार

सीपीआई नेता कन्हैया कुमार ने कहा कि जब मेरे ऊपर हमला हुआ था तो वकीलों और पुलिस के आलाकमान का सरकार ने इनाम दिया था. इसलिए ही हम आज भी किसी पेशे के खिलाफ नहीं बल्कि न्याय के पक्ष में खड़े हैं.

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सीपीआई नेता कन्हैया कुमार (फोटो-ट्विटर) सीपीआई नेता कन्हैया कुमार (फोटो-ट्विटर)

आशुतोष मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 06 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:23 PM IST

  • नहीं थम रहा पुलिस-वकील विवाद, आज होनी है सुनवाई
  • सीपीआई नेता कन्हैया कुमार ने ट्वीट कर रखी अपनी बात

तीस हजारी कोर्ट में 2 नवंबर को पुलिस-वकील के बीच हुई झड़प का मामला शांत होता नहीं दिख रहा है. मंगलवार को पुलिस जवानों के प्रदर्शन के बाद बुधवार को वकीलों का उग्र प्रदर्शन जारी है. वकीलों ने जिला अदालतों में काम ठप किया और पुलिस जवानों पर कार्रवाई की मांग उठाई. आज दिल्ली हाईकोर्ट में तीस हजारी विवाद पर सुनवाई भी होनी है. इस पूरे मामले को लेकर सीपीआई नेता कन्हैया कुमार ने कई ट्वीट किए हैं.

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कन्हैया कुमार ट्वीट करते हुए लिखा, 'ये बात सच है कि जब वकीलों के वेश में कुछ गुंडों ने कोर्ट परिसर में मेरे ऊपर और मीडिया वालों पर जानलेवा हमला किया था, तब ज्यादातर पुलिसवाले तमाशा देख रहे थे. लेकिन उस दिन कुछ पुलिसवालों ने ही अपनी जान पर खेलकर मुझे बचाया भी था.'

उन्होंने कहा कि जब मेरे ऊपर हमला हुआ था तो वकीलों और पुलिस के आलाकमान को सरकार ने इनाम दिया था. इसलिए ही हम आज भी किसी पेशे के खिलाफ नहीं बल्कि न्याय के पक्ष में खड़े हैं. मेरा व्यक्तिगत अनुभव कहता है कि राजनीति हर पेशे के अपराधियों को अपने फायदे के लिए संरक्षण देती है,  इसलिए अपराध के खिलाफ बोलिए, किसी पेशे के खिलाफ नहीं.

हर पेशे में कुछ लोग गलत होते हैं, लेकिन उनकी गलतियों के आधार पर पूरे के पूरे पेशे को अपराधी नहीं ठहराया जा सकता. दिल्ली में पुलिसवालों और वकीलों के बीच जो हो रहा है उससे ये बात एक बार फिर साबित होती है कि कानून और व्यवस्था का दुरुस्त होना सबकी जरूरत है. वरना किसी का भी नंबर आ सकता है और भीड़ तैयार करने वाली राजनीति के हत्थे जान किसी की भी जा सकती है.

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इस पूरे मामले में होना यह चाहिए था कि जिसने भी कानून तोड़ा हो, चाहे पुलिस हो या वकील उन पर तुरंत कार्रवाई की जाती, लेकिन दुखद है कि हमारे देश की राजनीति कानून को अपना काम निष्पक्ष तरीके से करने नहीं देती है. राजनीतिक गुणा भाग के चलते ही इस पूरे मामले पर न तो कानून मंत्री का और न ही गृहमंत्री का कोई बयान आया है.

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