'ऑपरेशन गो-रख धंधा', भारत से बांग्लादेश गौ तस्करी के रूट का पर्दाफाश

बांग्लादेश की राजधानी से महज 13 किलोमीटर दूर गबताली कैटल मार्केट है. 'आज तक' की टीम जब यहां पहुंची तो पता चला कि इस मार्केट में रोज 3000 से 4000 कैटल अलग-अलग रास्तों से बाजार में आते हैं.

Advertisement
अब तक गौ तस्करी पर लगाम नहीं अब तक गौ तस्करी पर लगाम नहीं

जितेंद्र बहादुर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 9:43 PM IST

भारत में गाय की तस्करी कानूनी तौर पर नहीं की जा सकती है, लेकिन गैरकानूनी तरीके से तस्करी जारी है. इस काले कारोबार का पर्दाफाश करने के लिए 'आज तक' की टीम बांग्लादेश बॉर्डर पहुंची और ये जानने में जुटी की कैसे ट्रकों के जरिए मवेशियों को बांग्लादेश बॉर्डर तक लाया जाता है और फिर उसे बॉर्डर पार कराया जाता है.

Advertisement

मवेशियों को असम, पश्चिम बंगाल और बिहार के रास्ते बांग्लादेश तक पहुंचाया जाता है. 'आज तक' ने इस ऑपरेशन का नाम 'ऑपरेशन गो-रख धंधा' दिया. बांग्लादेश की राजधानी से महज 13 किलोमीटर दूर गबताली कैटल मार्केट है. 'आज तक' की टीम जब यहां पहुंची तो पता चला कि इस मार्केट में रोज 3000 से 4000 कैटल अलग-अलग रास्तों से बाजार में आते हैं, जिसमें 800 से 900 कैटल इस बाजार से बिक जाते हैं. भारत से जिन गायों को 3000 से 7000 की कीमत में राजस्थान, बंगाल, हरियाणा और यूपी से खरीदा जाता है, उसकी कीमत बांग्लादेश में पहुंचते ही 30000 से 45,000 टका हो जाती है.

दरअसल बांग्लादेश में भारतीय गायों और दूसरे कैटल की मुंह मांगी कीमत मिलती है. बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी बीएसएफ के मुताबिक भारत से हर साल करीब साढ़े 3 लाख गायों को चोरी छिपे बांग्लादेश सीमा पार करवाकर बेचा जाता है. तस्करी का सालाना कारोबार करोड़ों रुपये से ज्यादा का है. केंद्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 और 2015 के दौरान बीएसएफ ने 34 गाय तस्करों को मुठभेड़ में मार गिराया, वहीं अगर बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश की रिपोर्ट की मानें तो इस साल अगस्त 2016 तक 21 कैटल स्मगलर को बीएसएफ ने मार गिराया है, जो लोग बांग्लादेश के बॉर्डर एरिया से तस्करी करने के लिए कैटल लेकर जा रहे थे.

Advertisement

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 250 से 300 से ज्यादा गायों को बीएसएफ प्रतिदिन बांग्लादेश के बॉर्डर से किसी न किसी रूप में बरामद करती है. जानकारी ये भी है कि पश्चिम बंगाल और असम गाय तस्करी का हॉट स्पॉट है. यहां से बांग्लादेश के साथ साउथ बंगाल की 915 किलोमीटर सीमा, नॉर्थ बंगाल से 939 किलोमीटर सीमा और असम से 495 किमी सीमा भारत और बांग्लादेश के साथ जुड़ती है. यही बॉर्डर असम और पश्चिम बंगाल से गायों को बांग्लादेश पहुंचाने का रूट बनता है. बांग्लादेश की खुलना सेक्टर के पास अगस्त 2016 तक 39,237 कैटल जब्त किए हैं. लेकिन स्मगलर अभी भी सक्रिय हैं.

तस्करी के लिए ये रूट इस्तेमाल में :

1. भारत से बांग्लादेश सीमा के पास मौजूद खुलना कॉरिडोर है. यहां बांग्लादेश के बसंतपुर, खुलियासतानी, सोनाबेरिया, नवारण और भैरवा तक कैटल स्मगलर इस कॉरिडोर का प्रयोग कर कैटल भारत से बांग्लादेश के अंदर भेजते हैं जो बांग्लादेश की अलग बाजारों में बेचा जाता है.

2. बांग्लादेश के कुत्सिया सेक्टर से कुसुमपुर, जगन्नातपुर, दरियापुर, गुरुदाहा, करपुसदंगा और महिसकुंडी के कॉरिडोर से अंदर पहुंचता है.

3. राजशाही कॉरिडोर जो बांग्लादेश में है यहां पर भारत से कैटल आता है. चारघाट, सुल्तानगंज, श्यामपुर, राजबारी, कानासरत, खंजानपुर और भोलाघाट रास्तों कैटल स्मगलर इस्तेमाल करते हैं.

Advertisement

बीएसएफ के सूत्रों ने बताया है कि कैटल स्मगलिंग का बिजनेस करीब 5000 से 10000 करोड़ का है. भारत से गायें ज्यादातर पश्चिम बंगला के नदिया, 24 परगना, उत्तरी 24 परगना, पूर्वी 24 परगना, हेब्रा, मालदा से बांग्लादेश पहुंचती हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement