दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि चोर को ‘चोर’ कहना मानहानि नहीं है. भूषण स्टील लिमिटेड की तरफ से दायर मानहानि के मुकदमे में निचली अदालत द्वारा भेजे गए सम्मन को रद्द करते हुए अदालत ने यह बात कही है.
विशेष सीबीआई न्यायाधीश प्रवीण कुमार ने याचिका दायर करने वाले जय किशन बंसल की ओर से मेसर्स भूषण स्टील लिमिटेड द्वारा कर चोरी के संबंध में केन्द्र सरकार के अधिकारियों को लिखे गए पत्र को मानहानि करार नहीं दिया जा सकता क्योंकि व्हिसिलब्लोअर के रूप में उनका काम जनता के हित में है.
अदालत ने कहा, चोर को 'चोर' कहना मानहानि नहीं है. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि 'कर चोर इकाई' शब्द का उपयोग करके याचिका दायर करने वाले ने मानहानि की है. उसने कहा कि इस मामले में केन्द्र सरकार के अधिकारियों को सूचना देने का बंसल का कदम 'व्हिसिलब्लोअर' का है और ऐसे में यदि उनके खिलाफ शिकायतों पर सुनवाई की जाने लगी तो कोई भी सरकारी एजेंसियों को ऐसी सूचना देने के लिए सामने नहीं आएगा.
-इनपुट भाषा
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