भारत ने 2020 में प्रवेश आर्थिक मोर्चे पर कम वृद्धि अनुमानों के साथ किया. इसके पीछे कई तिमाहियों की मंथर गति वाली GDP वृद्धि थी. लेकिन कोरोना वायरस महामारी ने स्थिति और निराशाजनक कर दी है.
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की GDP विकास दर का अनुमान वर्ष 2020-21 के लिए 0.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. फिच रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिस्ट ब्रायन कॉल्टन कहते हैं- 'विश्व GDP के 2020 के लिए 3.9 फीसदी गिरने का अनुमान है, युद्ध के बाद की अवधि में अभूतपूर्व गहराई की मंदी है.'
बीते हफ्ते अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने ऐलान किया था कि भारत, बाकी दुनिया की तरह घातक Covid-19 से प्रभावित होगा. ये महामारी दुनिया भर में 23 अप्रैल तक 1.8 लाख लोगों की जान ले चुकी है. भारत में भी इससे करीब 700 मौतें हो चुकी हैं. कोरोना वायरस संक्रमण ने दुनिया भर में करीब 4 अरब लोगों को घरों में बंद कर रखा है. इसने साथ ही उद्योगों को सामुदायिक फैलाव के डर से अपना उत्पादन बंद करने को मजबूर कर रखा है.
जो पहले कभी नहीं हुआ, कोरोना वायरस की वजह से पिछले दो महीने के घटनाक्रम ने भारत की अनुमानित GDP विकास दर को जनवरी में 5 फीसदी के स्तर से 2.5 फीसदी पर ला पटका. वैश्विक वित्तीय संस्थानों और रेटिंग एजेंसियों ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए कम आर्थिक उत्पादन का अनुमान लगाया है.
RBI आशावान
जब से कोरोना वायरस लॉकडाउन का ऐलान हुआ है, RBI अर्थव्यवस्था को इसके असर से बचाने के लिए घुटनों के बल काम कर रहा है. बैंकिंग रेग्युलेटर ने रेपो रेट को 15 साल के निचले स्तर पर यानी 4.4 फीसदी तक कम कर दिया है. साथ ही बैंको को टर्म लोंस के लिए EMI तीन महीने तक रोकने की अनुमति दे दी है. साथ ही कैश रिजर्व अनुपात (CRR) में कटौती कर लिक्विडिटी को बढाया है . –ये सब लॉकडाउन के असर को कम करने के लिए किया गया.
RBI ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की फरवरी बैठक में वर्ष 2020-21 के लिए 6 फीसदी GDP विकास दर का अनुमान लगाया था. केंद्रीय बैंक ने तब कहा था कि कोरोना वायरस (तब वो शुरुआती दौर में था) से वैश्विक कारोबार और पर्यटन प्रभावित होगा, लेकिन रबी की फसल से निजी खपत बढ़ने का अनुमान है, खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में.
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लेकिन इसके बाद कोरोना वायरस ने भारत में तेजी से पैर फैलाना शुरू किया. 23 अप्रैल की दोपहर तक भारत में लगभग 22,000 केस सामने आ चुके थे और 700 मौतें हो चुकी थीं. 9 अप्रैल को RBI ने अर्धवार्षिक मॉनेटरी पॉलिसी जारी की. इसके मुताबिक भारत की जीडीपी विकास दर वर्ष 2020-21 के लिए 5.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि तीन महीने का लॉकडाउन अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट करेगा.
RBI मॉनेटरी पॉलिसी रिपोर्ट में कहा गया है- ''अगर शटडाउन तीन महीने तक जारी रहती है और ऑफसेटिंग फैक्टर्स नहीं होते तो वार्षिक GDP विकास दर, जो होनी चाहिए थी, उससे 4-6 फीसदी प्वॉइंट्स के बीच कम रह सकती है.''
IMF और विश्व बैंक
IMF और विश्व बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वित्त वर्ष 2020-21 में क्रमश: 5.8 फीसदी और 5 फीसदी GDP विकास दर का अनुमान लगाया था. उस वक्त भी IMF ने तर्क दिया था कि उम्मीद से कम मांग ने भारत से अपेक्षाओं को घटाया है.
हालांकि, इस वक्त कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से IMF का मानना है कि ये विकास दर 1.9 फीसदी तक रह सकती है. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास इसे अच्छा संकेत बताते हैं, क्योंकि ये G20 देशों के बीच सबसे ऊंची दर में से एक है.
विश्व बैंक ने भी भारत से अपनी अपेक्षाओं को कम किया और क्रेडिट कमजोरी को इसकी वजह माना. विश्व बैंक ने 2020-21 के लिए भारत की विकास दर 5 फीसदी रहने का अनुमान जताया था.
12 अप्रैल को विश्व बैंक ने GDP विकास दर की रेंज बताई जो निर्भर करेगी कि भारत किस तरह कोरोना वायरस पर काबू पाता है. 4 फीसदी विकास दर अगर पॉलिसी उपाय कारगर रहते हैं और 1.5 फीसदी विकास दर अगर शटडाउन को बढ़ाया जाता है.
मूडीज और फिच
जनवरी में फिच रेटिंग्स ने कहा था कि भारत 2020-21 में Fitch Ratings said India would 5.6 फीसदी GDP विकास दर से रिकवर करेगा, लेकिन अब उसने अप्रैल के पहले हफ्ते में इस अनुमान को घटाकर 30 साल के निचले स्तर 2 फीसदी पर कर दिया है.
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गुरुवार को फिच रेटिंग्स ने अपनी अपेक्षाओं को फिर संशोधित किया और भारत के लिए वर्ष 2020-21 में 0.8 फीसदी GDP विकास दर रहने का अनुमान जताया.
इसी तरह मूडीज रेटिंग्स भी कम आशावान है. जनवरी में इसने भारत के वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 5.8 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया था, जो मार्च के आखिर में इसने घटाकर 2.5 फीसदी कर दिया.
निखिल रामपाल