बाजार में भरोसा-ग्राहकों को राहत पर नजर...5 प्वाइंट में समझें RBI गवर्नर के ऐलान

कोरोना संकट की वजह से देश की इकोनॉमी को बड़ा नुकसान होने की आशंका है. इस हालात से निपटने के लिए आरबीआई गवर्नर ने कई बड़े ऐलान किए हैं.

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लॉकडाउन में दूसरी बार RBI गवर्नर ने मीडिया से बात की लॉकडाउन में दूसरी बार RBI गवर्नर ने मीडिया से बात की

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 11:47 AM IST

  • रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई
  • आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट को 3.75 फीसदी किया

बीते कुछ दिनों में कोरोना संकट से निपटने के लिए सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में शुक्रवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास मीडिया से मुखातिब हुए. इस दौरान उन्होंने कई बड़े ऐलान किए.

1. RBI गवर्नर ने सबसे बड़ा ऐलान रिवर्स रेपो रेट को लेकर किया है. रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है. अब रिवर्स रेपो रेट 4% से घटकर 3.75% हो गया है. रिवर्स रेपो रेट में कटौती से बैंकों को झटका लगेगा.

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क्या चाहता है आरबीआई?

इस कटौती के जरिए आरबीआई बैंकों को ये संदेश देना चाहता है कि हमारे पास पैसे न जमा कर आप ग्राहकों को कर्ज दें. बता दें कि देश में कामकाज कर रहे बैंक, आरबीआई के पास एक रकम रखते हैं. इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है. भारतीय रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं.

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2. टार्गेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन (TLTRO 2) के तहत RBI ने MFIs और NBFCs को 50 हजार करोड़ रुपये की मदद का ऐलान किया.

क्या है इसके मायने?

दरअसल, इसके जरिए आरबीआई लॉन्ग टर्म में भी बाजार में लिक्विडिटी कम नहीं होने देने का भरोसा देना चाहता है. रेपो रेट शॉर्ट टर्म के लिए होता है. वहीं लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन्स एक से तीन साल तक के लिए होता है. इससे बैंकों के पास कर्ज लेने के लिए अच्छी सुविधाएं होती हैं तो अर्थव्यवस्था को कर्ज देने के लिए भी अच्छा मौका होता है.

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टीएलटीआरो 2.0 के तहत 50 फीसदी टोटल अमाउंट छोटे, मध्यम आकार के कॉरपोरेट, एमएफआई, एनबीएफसी को जाएगा. इसके लिए अधिसूचना आज ही आएगी.

3- आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि नाबार्ड, सिडबी, एनएचबी की भूमिका ग्रामीण क्षेत्रों और एनबीएफसी आदि के कर्ज प्रवाह के लिए महत्वपूर्ण है. कोविड 19 के दौर में इन संस्थाओं को बाजार से कर्ज मिलने में मुश्किल है, इसलिए नाबार्ड, सिडबी, एनएचबी को 50,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रीफाइनेंसिंग की सुविधा दी जा रही है. इस ऐलान का मतलब ये हुआ कि आरबीआई ग्रामीण अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना चाहता है.

4- इसके अलावा RBI ने बैंकों को राहत देते हुए 30 जून तक उन्हें NPA (डूबे कर्ज) को लेकर बड़ी छूट दी है. बैकों को अब इस समय एनपीए घोषित नहीं करने होंगे. मतलब ये कि अब बैंक बिना किसी दबाव के आरबीआई से कुछ दिनों की मोहलत ले सकते हैं.

5.- इसके साथ ही, RBI ने बैंकों से ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को EMI में छूट देने के लिए कहा है. ऐसे में अब उम्मीद की जा रही है कि ईएमआई पर मिलने वाली मोहलत की अवधि 3 महीने के बाद भी बढ़ सकती है.

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