कोरोना लॉकडाउन के दौरान नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सोसायटीज को सील करने के तौर-तरीके का विरोध शुरू हो गया है. नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बनीं सोसाइटीज के लोगों ने सीलिंग का मजबूती से विरोध करना शुरू कर दिया है.
पुलिस का दावा है कि वो नियम के मुताबिक काम कर रही है लेकिन इसमें स्पष्टता का अभाव नजर आता है. नियम के अनुसार यदि 250 मीटर के दायर में कोरोना का कोई पॉजिटिव केस आया है तो उसे कंटेनमेंट जोन कहा जाएगा. यदि एक से ज्यादा केस आए तो 500 मीटर के दायरे को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया जाएगा जबकि 250 मीटर का बफर जोन होगा.
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नोएडा में कम से कम 3-4 हाई राइज बिल्डिंग 500 मीटर के दायरे में आ सकती हैं. सुपरटेक इकोविलेज-1 और पंचशील ग्रीन-2 सहित अन्य सोसाइटीज के निवासियों की शिकायत है कि उन्हें इलाके को रेड ऑरेंज जोन होने तक अगले 21 दिन तक ऑफिस जाने की अनुमति नहीं है. ऐसे में उनकी नौकरी जाने का खतरा बना हुआ है.
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नोएडा एक्सटेंशन फ्लैट ओनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष और सुपरटेक इको विलेज 1 में रहने वाले अभिषेक कुमार ने कहा, "तीन महीने के लॉकडाउन के बाद, कई व्यवसायों को फिर से खोलने की अनुमति दी गई और कई लोगों ने फिर ऑफिस जाना शुरू कर दिया है. यहां रहने वालों का कहना है कि अगर वे अब कार्यालय नहीं जा पाते हैं, तो उन्हें नौकरी से निकाला जा सकता है और इसीलिए वे सीलिंग पर सरकार का तुरंत ध्यान देने की मांग कर रहे हैं."
हालांकि, पुलिस डिप्टी कमिश्नर (सेंट्रल नोएडा) हरीश चांडलर ने कहा कि रेजिडेंशियल इलाकों में स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. जिस सोसाइटीज में एक से ज्यादा कोरोना केस पाए जाएंगे, उन्हें सील कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा, "हमें कंटनेमेंट जोन को सील रखने की प्रक्रिया का पालन करना होगा. चूंकि एसओपी में कोई बदलाव नहीं हुआ है, इसलिए महामारी को अन्य क्षेत्रों में फैलने से रोकने के लिए प्रक्रिया का पालन करना होगा."
देखा जाए तो नोएडा की जनसांख्यिकी बाकी उत्तर प्रदेश से बिल्कुल अलग है. बहुत अधिक लोग हाई राइज सोसाइटीज के छोटे छोटे कमरे में रहते हैं. पंचशील ग्रीन्स 2 में रहने वाले दीपांकर कुमार कहते हैं, "प्रत्येक फ्लैटों, टॉवर और सोसाइटीज में रहने वालों की संख्या अलग अलग है. कुछ सोसाइटीज में केवल 1000 लोगों के आवास हैं, जबकि कुछ में 10,000 से अधिक घर हैं. दोनों तरह की सोसाइटीज पर एक ही नियम लागू किया जा रहा है. फिर भी लोगों को सीलबंद जीवन जीने में कोई समस्या नहीं है. यदि सरकार यह आश्वासन देती है कि उन्हें न नौकरी से निकाला जाएगा और न ही उनके वेतन में कटौती होगी."
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बता दें कि नोएडा में अब तक 350 से ज्यादा कोरोना के केस आ चुके हैं. इनमें से 235 से ज्यादा इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं. वहीं अब तक कोरोना की चपे में आने से पांच लोग जान गंवा चुके हैं.
अभिषेक आनंद