क्या चीन की काट बन सकेगा पीएम मोदी का आत्मनिर्भर भारत अभियान?

इस फैसले से भारत चीन की तरह आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा. लेकिन क्या यह इतना आसान है? भारत चीन को जितना सामान बेचता है यानी कि निर्यात करता है उसका लगभग चार गुना अधिक माल आयात करता है, यानी खरीदता है.

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पीएम ने आत्मनिर्भर भारत की बात क्यों कही? पीएम ने आत्मनिर्भर भारत की बात क्यों कही?

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2020,
  • अपडेटेड 3:45 PM IST

  • 2019 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 56.77 अरब डॉलर
  • जबकि 2018 में भारत का यह घाटा 58.04 अरब डॉलर था

पीएम मोदी ने मंगलवार को 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है. पीएम मोदी ने यह पैकेज कोरोना वायरस से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दिया है. सरकार को उम्मीद है कि 20 लाख करोड़ रुपये के इस आर्थिक पैकेज की घोषणा से स्थानीय कारोबारों को प्रोत्साहन मिलेगा.

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साथ ही इस फैसले से भारत चीन की तरह आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा. लेकिन क्या यह इतना आसान है? भारत चीन को जितना सामान बेचता है यानी कि निर्यात करता है उसका लगभग चार गुना अधिक माल आयात करता है, खरीदता है. ऐसे में भारत के सामने ना सिर्फ इस गैप को भरने की चुनौती होगी, बल्कि उससे आगे भी निकलना होगा.

साल 2019 के अगर आंकड़े देखें तो चीन-भारत का द्विपक्षीय व्यापार पिछले साल 639.52 अरब युआन (करीब 92.68 अरब डॉलर) का रहा था. जो कि सालाना आधार पर 1.6 प्रतिशत अधिक है. वहीं चीन का भारत को निर्यात पिछले साल 2.1 प्रतिशत बढ़कर 515.63 अरब युआन रहा जबकि भारत का चीन को निर्यात 0.2 प्रतिशत घटकर 123.89 अरब युआन रहा. भारत का व्यापार घाटा 2019 में 391.74 अरब युआन रहा. हालांकि डॉलर के संदर्भ में दोनों देशों के बीच व्यापार कम हुआ है.

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2018 में द्विपक्षीय व्यापार 95.7 अरब डॉलर था. 2019 में इसके 100 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद थी यह 3 अरब डॉलर कम होकर 92.68 अरब डॉलर रहा. साल-2019 में चीन से भारत को निर्यात 74.72 अरब डॉलर रहा. 2018 में चीन ने भारत को 76.87 अरब डॉलर का निर्यात किया था. इसी दौरान भारत का चीन को निर्यात घट कर 17.95 अरब डॉलर के बराबर रहा. यह इससे पिछले वर्ष 18.83 अरब डॉलर था.

साल 2019 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 56.77 अरब डॉलर रहा. जबकि यही घाटा 2018 में 58.04 अरब डॉलर था.

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वित्त मंत्री ने छोटे उद्योगों के लिए दी बड़ी राहत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को राहत पैकेज की पहली किस्त का ब्यौरा जनता के सामने रखा. इसमें सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग से जुड़े लोगों को राहत देने की कोशिश की. इस सेक्टर को तीन लाख करोड़ रुपये का कोलेटरल फ्री लोन दिया जाएगा. इसके लिए काउंटर गारंटी या कोई संपत्ति दिखाने की जरूरत नहीं रहेगी.

ये लोन 25 करोड़ रुपये तक के होंगे. इनमें 100 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली कंपनियों को फायदा होगा. चार साल के लिए ये लोन होगा और एक साल के लिए मोराटोरियम है यानी एक साल तक इसके किस्त आपको नहीं चुकाने हैं. 31 अक्टूबर 2020 तक इस पर कोई गारंटी फीस नहीं लगेगी. 45 लाख उद्यमियों को इससे लाभ होगा.

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इसके साथ ही एमएसएमई की परिभाषा भी सरकार ने बदल दी है ताकि ज्यादा से ज्यादा उद्योगों और उनमें काम करने वालों को फायदा मिले. अब एक करोड़ रुपये तक निवेश करके पांच करोड़ रुपये तक कारोबार करने वाले उद्योग सूक्ष्म में आएंगे. 10 करोड़ तक का निवेश करके पचास करोड़ तक कमाने वाली कंपनियां लघु उद्योग में आएंगी.

वहीं, 20 करोड़ का निवेश करके 100 करोड़ तक का कारोबार करने वाली कंपनियां मध्यम उद्योग में आएंगी. साथ ही सरकार ने फैसला किया कि अब दो सौ करोड़ रुपये के लिए ग्लोबल टेंडर की इजाजत नहीं लेनी होगी. सरकार का कहना है कि वो दूरगामी नतीजों वाले कदम उठा रही है.

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पीएम मोदी ने बड़े आर्थिक सुधारों के दिए संकेत

प्रधानमंत्री ने बड़े आर्थिक सुधारों का संकेत देते हुये कहा कि यह आर्थिक पैकेज हमारे श्रमिकों, किसानों, ईमानदार करदाताओं सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों और कुटीर उद्योगों के लिये होगा. पैकेज में भूमि, श्रम, नकदी और कानून सभी क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया है. यह पैकेज भारतीय उद्योग जगत के लिये है, उसे बुलंदी पर पहुंचाने के लिये है.

हालांकि पीएम मोदी ने यह भी स्प्षट कर दिया है कि 20 लाख करोड़ रुपये के इस पैकेज में आरबीआई द्वारा अब तक कोविड-19 संकट से निपटने के लिए घोषित उपाय भी शामिल हैं.

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