अलग हुए यूपी के लड़के? कांग्रेस-सपा अलग-अलग लड़ेंगे निकाय चुनाव

यूपी विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने राज्य में आगामी स्थानीय चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है. शनिवार को पार्टी की अहम बैठक में ये फैसला लिया गया.

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यूपी में 'हाथ' से छूटी 'साइकिल'! यूपी में 'हाथ' से छूटी 'साइकिल'!

सुप्रिया भारद्वाज / कुमार विक्रांत

  • नई दिल्ली/ लखनऊ,
  • 01 मई 2017,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST

अभी कुछ ही महीने पहले तक यूपी में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेता कहते नहीं थक रहे थे कि 'हम साथ-साथ हैं.' लेकिन अब नौबत 'हम आपके हैं कौन?' कहने तक पहुंच गई है. कांग्रेस ने राज्य में आगामी स्थानीय चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है.

यूपी को अब ये साथ नहीं पसंद?
शनिवार को दिल्ली में यूपी के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की बैठक में ये फैसला लिया गया है. मीटिंग में पार्टी महासचिव गुलाम नबी आजाद और यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर भी मौजूद थे. सूत्रों के मुताबिक बैठक में मौजूद ज्यादातर नेताओं का मानना था कि विधानसभा चुनाव के दौरान यूपी की जनता को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का साथ पसंद नहीं आया है. लिहाजा अगर देश के सबसे बड़े राज्य में पार्टी को दोबारा जिंदा करना है तो स्थानीय चुनाव में अकेले ही उतरना बेहतर होगा. राज बब्बर ने मीडिया को बताया, ''हमने यह फैसला किया है कि आने वाले नगर निगम चुनाव में कांग्रेस बिना किसी पार्टी के साथ गठबंधन किए ही लड़ेगी. यह बात समाजवादी पार्टी पर भी लागू होती है यानी उसके साथ भी कोई गठबंधन नहीं किया जाएगा.'

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राज बब्बर की सफाई

मसले के मीडिया में उछलने के बाद प्रदेशाध्यक्ष राज बब्बर ने आजतक के साथ बातचीत में इस फैसले पर सफाई पेश की. उनका कहना था कि निकाय चुनाव छोटे स्तर पर लड़े जाते हैं और सभी पार्टियां इन्हें अपने बलबूते पर ही लड़ती आई हैं. बब्बर ने दावा किया कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में पूरी ईमानदारी से एक दूसरे का साथ दिया था. लिहाजा ये कहना गलत है कि समाजवादी पार्टी के साथ उनका गठबंधन टूट गया है. उनके मुताबिक कांग्रेस के तमाम नेता 2019 में महागठबंधन के हक में हैं.

 

प्रचार के लिए रणनीति
कांग्रेस पार्टी ने राज्य नगर निगम चुनावों के लिए शंखनाद भी कर दिया है. पार्टी के सूत्रों के मुताबिक नेताओं से कहा गया है कि अभी से ही कर्मठ कार्यकर्ताओं को जोड़ने की कवायद शुरु कर दी जानी चाहिए और चुनाव की रणनीति बनाने में जुट जाना चाहिए. पार्टी नेता जिला स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें करने वाले हैं. इन बैठकों में उन विधानसभा उम्मीदवारों को भी बुलाया जाएगा जिन्हें 1 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं. पार्टी के स्थानीय नेताओं से कहा गया है कि वो प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं को एकजुट करें. राज्य में इस साल स्थानीय चुनाव होने हैं. कई पार्टियों के विरोध के बावजूद चुनाव आयोग ने साफ किया है कि इन चुनावों में ईवीएम के जरिये ही वोटिंग होगी.

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