क्या कोई आईपीएस अधिकारी व्हाट्सएप पर ऐसे वीडियो को फॉरवर्ड कर सकता है जिसमें चुनाव में किसी राजनीतिक दल की जीत का दावा किया जा रहा हो? छत्तीसगढ़ कैडर के चर्चित आईपीएस अधिकारी एस आर पी कल्लूरी ने ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है. कल्लूरी का तबादला बेशक बस्तर से पुलिस हेडक्वार्टर में हो गया हो लेकिन विवादों से उनका पीछा नहीं छूटा है.
ताजा मामला व्हाट्सएप पर उनके एक वीडियो को फॉरवर्ड करने को लेकर है. इसमें देश में फिलहाल जहां जहां चुनाव हो रहे हैं, खास तौर पर उत्तर प्रदेश में, वहां बीजेपी की जीत का दावा किया गया है. कांग्रेस ने सिविल सेवा आचरण संहिता का हवाला देकर कल्लूरी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. वहीं सरकार को लिखित शिकायत का इंतजार है.
वीडियो में एनिमेशन के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बाहुबली फिल्म के दृश्य की तर्ज में शिवलिंग उठाते दिखाया गया है. जबकि अखिलेश यादव और राहुल गांधी पास खड़े हताशा से देख रहे हैं. इस वीडियो के सामने आने के बाद कांग्रेस ने कल्लूरी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के मुताबिक ये सर्विस कोड ऑफ कंडक्ट का खुला उल्लंघन है. बघेल ने कहा कि कोई भी सरकारी अधिकारी संविधान के तहत किसी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं हो सकता. लेकिन कल्लूरी ने जिस तरह का वीडियो डाला है उसमें बीजेपी को जिताने की अपील है. बघेल के मुताबिक ये गंभीर मामला है और कल्लूरी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए.
कल्लूरी के इस कदम से राज्य सरकार भी हैरत में है. हाल में सरकार ने दिशानिर्देश जारी कर सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को आगाह किया था कि वो सोशल मीडिया या अन्यत्र ऐसा कोई आचरण ना करे जिससे सरकार की छवि खराब हो या फिर विभाग की गतिविधियों पर सवालिया निशान लगे.
संसदीय सचिव गृह एल. सी. बाफना का कहना है कि कोई अधिकारी अगर संवैधानिक पद पर है तो उसे कोई भी टिप्पणी सोचने समझने के बाद करनी चाहिए. सरकार का कहना है कि लिखित में कोई शिकायत आती है तो जांच कराई जा सकती है.
बता दें कि कल्लूरी बस्तर में तैनाती के दौरान अपनी कार्यप्रणाली को लेकर मानवाधिकार संगठनो के निशाने पर रहे थे. पुलिस मुख्यालय में तबादले के बाद उन्होंने राजनीतिक वीडियो को फॉरवर्ड कर नया झमेला कर दिया है.
सुनील नामदेव / खुशदीप सहगल