उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति बदली हुई नजर आ रही है. पार्टी ने तय किया है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो सूखे से जूझ रहे सूबे के किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा. यही नहीं युवाओं को बेरोजगारी भत्ता और महिलाओं को मुफ्त मंगल सूत्र बांटना भी पार्टी के पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल होगा.
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निर्मल खत्री ने इंडिया टुडे को बताया, 'जिस तरह यूपीए सरकार ने सोनिया जी की किसान हितैषी दृष्टि के तहत पूरे देश में किसानों का कर्ज माफ किया था, उसी तरह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में किसानों की कर्ज माफी अहम घोषणा होगी.' सूबे में 1989 में सत्ता से विदाई के बाद से कांग्रेस लगातार पिछड़ती जा रही है. 2009 के लोकसभा चुनाव में जरूर पार्टी को 21 सीटें मिल गई थीं और उसकी प्रमुख वजह भी मनरेगा और किसानों की कर्ज माफी जैसे फैसले रहे थे.
घोषणा पत्र में हो सकती हैं ये योजनाएं
दक्षिण के राज्यों में उपहार बांटने की शैली को उत्तर भारत में अपनाते हुए कांग्रेस युवाओं के लिए बेरोजगारी भत्ता और महिलाओं को मंगलसूत्र बांटने की बातें भी अपने घोषणापत्र में रख सकती है. खत्री ने बताया कि इन तीनों विषयों को पार्टी के घोषणापत्र में प्रमुख स्थान मिल सकता है, हालांकि इस पर अंतिम फैसला पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही करेगा.
किसानों की कर्ज माफी का भी मुद्दा
सूबे को लेकर इस बार कांग्रेस की रणनीति पहले से आक्रामक है. दो साल से पड़ रहे सूखे के कारण गांवों से सबसे ज्यादा मांग किसानों का कर्ज माफ करने की ही उठ रही है. कांग्रेस की रणनीति है कि सिर्फ विकास और सामाजिक एकता के नारे के बजाय लोगों को सीधा फायदा पहुंचाने वाली बातें ज्यादा समझ आती हैं.
ऐसे ही वादों से जीती हैं जयललिता
तमिलनाडु में 32 साल बाद लगातार दूसरी बार सरकार बनाने वाली जयललिता की रणनीति भी कुछ इसी तरह की रही है. इसके अलावा उनकी जीत में महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है. मुफ्त मंगलसूत्र जैसी घोषणाएं सीधे गृहणियों को आकर्षित कर सकती हैं. पार्टी का आकलन है कि नरेंद्र मोदी सरकार की छवि पहले ही किसान विरोधी बन चुकी है और इस बजट में किसानों का नाम तो लिया गया है, लेकिन असल में उन्हें मिला कुछ नहीं है.
प्रशांत किशोर की रणनीति भी अहम
वैसे भी प्रशांत किशोर की रणनीति इस बार कांग्रेस को 100 सीटें जिताने की है. यह आंकड़ा बहुत हवाई नहीं है, क्योंकि 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी करीब इतनी ही विधानसभाओं पर कामयाबी पा चुकी है. हालांकि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के समीकरण बहुत अलग होते हैं.
ब्रजेश मिश्र / पीयूष बबेले