मानसून से ज्यादा भविष्यवाणी का इंतजार, कंपनियां तब तय करेंगी अपना फ्यूचर

आखिर क्यों मानसून की अच्छी बारिश पर देश की अर्थव्यवस्था के दौड़ने का दावा वित्त मंत्री करते हैं और खराब मानसून के भय में रिजर्व बैंक एक उदार मौद्रीक नीति देने या ब्याज दर कम करने से कतराती है?

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कंपनियों को मानसून की भविष्यवाणी का इंतजार, तक करेंगी प्रोडक्शन साइकिल कंपनियों को मानसून की भविष्यवाणी का इंतजार, तक करेंगी प्रोडक्शन साइकिल

राहुल मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 13 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 7:29 AM IST

देश में मानसून आने में अभी लंबा वक्त है पर उससे ज्यादा इंतजार उसके पूर्वनुमान को लेकर है. इंतजार हो भी क्यों न? मानसून बेहतर होगा या नहीं, इसी बात पर देश की कंपनियों का फ्चूयर प्लान टिका है. बता दें कि इंडियन मेटरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (आईएमडी) 18 अप्रैल को आगामी मानसून के लिए अपना पहला अनुमान जारी करने जा रहा है.

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आखिर क्यों मानसून की अच्छी बारिश पर देश की अर्थव्यवस्था के दौड़ने का दावा वित्त मंत्री करते हैं और खराब मानसून के भय में रिजर्व बैंक एक उदार मौद्रीक नीति देने या ब्याज दर कम करने से कतराती है?

मानसून का इकोनॉमी कनेक्शन
देश के लिए मानसून अहम इसलिए है क्योंकि देश में कुल खाद्य उत्पादन का लगभग 40 फीसदी पर्याप्त और समय से होने वाली बारिश पर निर्भर है. वहीं जून से सितंबर तक की मियाद वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून देश के कुल बारिश का 80 फीसदी देता है. लिहाजा मजबूत दक्षिण-पश्चिम मानसून से देश में खरीफ फसल की अच्छी पैदावार होती है. अच्छी खरीफ पैदावार से ग्रामीण क्षेत्रों में खतप क्षमता और क्रय क्षमता मजबूत होती है. अंत में इससे पूरी अर्थव्यवस्था का चक्र घूम जाता है क्योंकि देशभर की कंपनियां इसी उम्मीद पर मानसून के आंकलन से अपने उत्पादन को बढ़ाने और कम रखने का अहम फैसला लेती हैं.

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रिजर्व बैंक होता है उदार
अच्छे मानसून की भविष्यवाणी पर केन्द्रीय रिजर्व बैंक देश में ब्याज दरों में कटौती करने के लिए अग्रसर रहता है. अच्छी फसल से किसानों की आमदमी बढ़ेगी और वह अच्छी खरीदारी करेंगे वहीं रिजर्व बैंक इस मौके पर ब्याजदर कम कर देश में कारोबारी गतिविधियों को तेज करने की कवायद करता है. अच्छी पैदावार से देश में खाद्य महंगाई भी काबू में रहती है और यह दूसरी बड़ी वजह बनती है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला करे.

इंडस्ट्री को मिलता है प्रोडक्शन का टार्गेट
अच्छे मानसून से अच्छी पैदावार ग्रामीण इलाकों में किसानों की जेब भरने के लिए पर्याप्त रहता है. देश की मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री की नजर मौसम विभाग के पूर्वानुमान पर इसीलिए टिकी रहती है जिससे वह ग्रामीण इलाकों में पैदा होने वाली मांग को नजर में रखते हुए अपने उत्पाद का पर्याप्त प्रोडक्शन समय से कर ले. वहीं अगर पूर्वानुमान खराब आशंकाओं के साथ है तो कंपनिया प्रोडक्शन की रफ्तार को थाम सके जिससे बाजार में उसके प्रोडक्ट को सप्लाई डिमांड से बैलेंस में रहे. गौरतलब है कि अच्छे मानसून के संकेत पर मोटरसाइकिल, स्कूटर, सस्ती कार, ट्रैक्टर, खेती के उपकरण इत्यादी बनाने वाली कंपनियां अपने प्रोडक्शन को बढ़ा देती हैं.

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