साल 2012 में एमसीडी के बंटवारे के बाद से ही नॉर्थ एमसीडी फंड की कमी से जूझ रही है. लेकिन एमसीडी के संपत्ति कर विभाग से मिले आंकड़ों की मानें तो इसके लिए काफी हद तक एमसीडी खुद ही ज़िम्मेदार है.
नॉर्थ एमसीडी में नेता विपक्ष मुकेश गोयल ने एमसीडी पर आरोप लगाया कि निगम को अलग-अलग सरकारी विभागों से 903 करोड़ रुपए संपत्ति कर वसूलना हैं लेकिन निगम ने अभी तक सिर्फ 10 लाख रुपए ही वसूल किए हैं. शर्मनाक बात तो ये कि अधिकारी भी इन बकाएदारों के सामने बेबस बने हुए हैं.
मुकेश गोयल के मुताबिक जिन सरकारी विभागों पर नॉर्थ एमसीडी का करीब 903 करोड़ रुपए बकाया है उनमें से सबसे बड़ा बकायेदार डीडीए है जिस पर 726 करोड़ रुपए बकाया है. इसके अलावा दिल्ली सरकार का शिक्षा विभाग दूसरा सबसे बड़ा बकायेदार है जिसपर करीब 54 करोड़ रुपए बकाया हैं. उत्तरी रेलवे पर 42 करोड़ तो बिजली कंपनी NDPL और BSES पर 40 करोड़ रुपए की रकम बकाया है.
डीएसआईडीसी भी बकायेदारों की सूची में पांचवे पायदान पर है जिसपर 19 करोड़ रुपए बकाया हैं. इसके अलावा जिन पांच सरकारी विभागों पर करोड़ों रुपए बकाया हैं उनके नाम हैं...
दिल्ली मिल्क स्कीम - 2.50 करोड़ रुपए
IARI पूसा- 14 करोड़ रुपए
इंण्डेन- 2.30 करोड़ रुपए
प्रसार भारती- 1.50 करोड़ रुपए
CPWD- 1.70 करोड़ रुपए
नेता विपक्ष के मुताबिक हैरानी की बात यह है कि इतनी बड़ी रकम के बदले एमसीडी इन बकायेदारों से साल भर में सिर्फ 10 लाख रुपए ही वसूल पाई है. आपको बता दें कि बंटवारे के बाद से दिल्ली में तीन एमसीडी बनाई गईं हैं जिसमें से साउथ एमसीडी अपनी पॉश कॉलोनियों से अच्छी खासी कमाई करने में समर्थ है. वहीं ईस्ट और नॉर्थ एमसीडी आर्थिक रूप से काफी बदहाल है लेकिन अधिकारियों के ढीले रवैये के कारण एमसीडी अपनी इस खस्ताहाल से उबरने में कामयाब नहीं हो पा रही है.
रवीश पाल सिंह