केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में दोपहर 12 बजे नागरिकता संशोधन बिल को पेश किया. जिसके बाद इस बिल पर ऊपरी सदन में चर्चा हुई. चर्चा के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने अपना जवाब सदन के समक्ष प्रस्तुत किया. अपने जवाब में अमित शाह ने कहा कि एक सवाल खड़ा हुआ कि बिल में मुस्लिम क्यों नहीं है. मैं कहना चाहता हूं कि 6 धर्म के लोगों को ला रहे हैं इसकी कोई सराहना नहीं है लेकिन मुस्लिम क्यों नहीं यह पूछा जा रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि यह बिल हम 3 देशों में अल्पसंख्यकों पर जो प्रताड़ना हुई है उनको शरण देकर उनके पिछले जो कागज नहीं है फिर भी उनको नागरिकता देने के लिए लाए हैं. जब मैं अल्पसंख्यक शब्द की बात करता हूं तो विपक्ष का कोई भी सदस्य बता दे कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में इस्लाम मत के अनुयायी अल्पसंख्यक कहे जाएंगे क्या, नहीं कहे जाएंगे. जहां तक धार्मिक प्रताड़ना का सवाल है जब राज्य का धर्म ही इस्लाम है तब इस्लाम के अनुयायियों पर प्रताड़ना की संभावना बहुत ही कम हो जाती है. अगर फिर भी किसी को अप्लीकेशन देनी है तो वो दे सकते हैं उनको भी नागरिकता देने की व्यवस्था है.
जब एक सामान्य दृष्टि से देखते हैं तो यह माना जाता है कि जहां इस्लामिक स्टेट है वहां इस्लाम के अनुयायियों पर प्रताड़ना होने की कोई संभावना नहीं है इसलिए इस बिल में सिर्फ हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को रखा है.
शाह ने आगे कहा कि हमारी पार्टी की पंथनिरपेक्षता पर सवाल खड़े किए गए. हमने क्या इसमें सिर्फ हिन्दू रखा है क्या. इसके अंदर सिख, जैन, बौद्ध, पारसी भी तो आ रहे. यह कहां से पंथनिरपेक्षता नहीं है. सिर्फ मुसलमान आ जाएंगे तो पंथनिरपेक्षता हो जाएगी. आपकी पंथनिरपेक्षता की परिभाषा बड़ी सीमित है, हमारी व्यापक है. जो प्रताड़ित हैं उसी को लाना यह हमारी व्याख्या है. आपकी व्याख्या है कि जब मुस्लिम आएगा तो ही पंथनिरपेक्ष माने जाओगे, तो ही धर्मनिरपेक्ष माने जाओगे. हमारी व्याख्या इतनी सीमित नहीं है.
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