दुआ करें, मुझे फिल्मों में ही देखें: अमित साध

'काई पो चे' में ओमी का किरदार निभा रहे अमित साध ने टीवी सीरियल्स से अपना करियर शुरू किया था. पेश है इंडिया टुडे के एसोसिएट कॉपी एडिटर नरेंद्र सैनी से उनसे बातचीत के प्रमुख अंशः

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अमित साध अमित साध

नरेंद्र सैनी

  • मुंबई,
  • 12 फरवरी 2013,
  • अपडेटेड 9:02 PM IST

'काई पो चे' में ओमी का किरदार निभा रहे अमित साध ने टीवी सीरियल्स से अपना करियर शुरू किया था. पेश है इंडिया टुडे के एसोसिएट कॉपी एडिटर नरेंद्र सैनी से उनसे बातचीत के प्रमुख अंशः

बारहवीं के बाद ही पढ़ाई क्यों छोड़ दी?
फैमिली में कुछ ऐसी बातें हो गईं, जिससे स्टडी को आगे कन्टीन्यु नहीं रख सका. एडवेंचर स्पोर्ट जानता था, इसलिए मैंने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर हिमालय में एडवेंचर स्पोर्ट्स सिखाना शुरू कर दिया.

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फिर ऐक्टर कैसे बन गए?
एक दिन दिमाग में फितूर पैदा हो गया कि मुझे ऐक्टिंग करनी है. लेकिन दोस्तों ने मेरा बात का मजाक बना लिया. बस इसी खुंदक में मैं मुंबई आ गया.

पहला ब्रेक कब मिला?
मुझे नीना गुप्ता ने अपने सीरियल क्यूं होता है प्यार के लिए चुना. फिर कुछ समय तक टीवी करता रहा. टीवी करने के बाद मैं ऐक्टिंग कोर्स करने के लिए न्यूयॉर्क के स्ट्रासबर्ग ऐक्टिंग स्कूल गया.

फिल्मों में आने का इरादा कैसे किया?
न्यूयॉर्क से लौटते ही, मैंने फिल्मों में काम ढूंढना शुरू कर दिया. फिर एक दिन कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा के पास पहुंचा, और अभिषेक कपूर को मेरा ऑडिशन पसंद आया.

काई पो चे में आपका क्या रोल है?
मैं ओंकार शास्त्री के किरदार में हूं. ओमी अपने दोस्तों का बहुत लाडला है. वह थोड़ा धार्मिक टाइप का भी है.

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ओमी के रोल के लिए किस तरह की तैयारियां की?
गुजराती लड़के का रोल था, इसलिए थोड़ी-बहुत लैंग्वेज पर भी हाथ साफ करना पड़ा. फिजिकल और इमोशन वाइज कैरेक्टर में काफी उतार-चढ़ाव हैं, उसके लिए भी खासी मशक्कत की.

अभिषेक के साथ कैसा एक्सपीरियंस रहा?
उन्होंने तो मुझे धूल में से उठाया है. वह कमाल के हैं. उनकी सोच एकदम क्लियर है और सब्जेक्ट को लेकर भी वे एकदम स्पष्ट हैं. उनके साथ काम करना वाकई नए लोगों के लिए मजेदार है.

आगे की क्या तैयारी है?
अभी कुछ प्रोजेक्ट्स पर बात चल रही है, कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है?

इन दिनों टीवी के सितारे फिल्मों में खूब आ रहे हैं. जैसे इसमें सुशांत सिंह राजपूत और आप भी हैं, क्या कहना है?
यह अच्छा समय है, यहां मीडियम की बजाय टैलेंट की कद्र हो रही है.

आपको टीवी पर देखेंगे?
दुआ करें कि मुझे फिल्मों में ही देखें?

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