युआन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाना चाहता है चीन

चीन की मुद्रा में गुरुवार को लगातार तीसरे दिन तेज गिरावट जारी रही जिससे बाजार में घबराहट रही. जानकारों का मानना है कि चीन युआन को एक्सचेंज रेट के बराबर लाकर उसे डॉलर की तरह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने की कोशिश में है.

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File Image: चीन की मुद्रा युआन File Image: चीन की मुद्रा युआन

राहुल मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 13 अगस्त 2015,
  • अपडेटेड 5:09 PM IST

चीन की मुद्रा में गुरुवार को लगातार तीसरे दिन तेज गिरावट जारी रही जिससे बाजार में घबराहट रही. गुरुवार को इसमें डॉलर के मुकाबले 1.1 फीसदी की और गिरावट आ गई. हालांकि, इसके बाद केंद्रीय बैंक ने बाजार की आशंका को भांपते हुये आश्वस्त किया कि मुद्रा के विनिमय मूल्य में और गिरावट नहीं आयेगी. जानकारों का मानना है कि चीन युआन को एक्सचेंज रेट के बराबर लाकर उसे डॉलर की तरह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने की कोशिश में है.

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चीन ने पिछले दो दिन में दो बार अपनी मुद्रा का अवमूल्यन किया है जिससे एक बार फिर से मुद्रा क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा की आशंका बढ़ गई है. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा कि डॉलर के मुकाबले युआन की संदर्भ दर 704 आधार अंक यानी 1.1 फीसदी घटकर 6.401 रही जो बुधवार 1.6 फीसदी और मंगलवार को लगभग 1.9 फीसदी थी. इस प्रकार कुल मिलाकर अब तक युआन में 4.6 फीसदी तक गिरावट आ चुकी है.

मंगलवार को पीपुल्स बैंक ऑफ चायना (पीबीओसी) ने अपनी विनिमय दर प्रणाली में सुधार किया. इस पहल से बाजार आश्चर्यचकित रह गया. इससे युआन की विनिमय दर अक्तूबर 2012 के बाद सबसे नीचे आ गई. युआन में और गिरावट की आशंका का दरकिनार करते हुये चीन के केन्द्रीय बैंक ने कहा कि चीन की मुद्रा दीर्घावधि में मजबूत बनी रहेगी. बैंक ने इन आशंकाओं को खारिज कर दिया कि डॉलर के मुकाबले युआन की विनिमय दर में किये गये बदलाव से इसमें भारी गिरावट आ जायेगी.

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पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के सहायक गवर्नर झांग सियोहुई ने कहा, युआन की कीमत धीरे-धीरे बाजार स्तर पर आ जायेगी. पिछले कुछ दिनों में इसमें आई गिरावट के बाद केन्द्रीय बैंक की संदर्भ दर और बाजार में वास्तविक कारोबारी दर के बीच जो विसंगति थी वह दूर कर ली गई है. शिन्हुआ ने झांग के हवाले से कहा कि आधिकारिक दर और बाजार धारणा के बीच अक्सर तीन प्रतिशत का फासला रहता था. अब इसे दूर कर लिया गया है.

युआन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाना चाहता है चीन
फाइनेनशियल सर्विसेज मॉर्गेन स्टैनली का मानना है कि चीन अभी अपनी मुद्रा का और अवमूल्यन कर सकता है. मॉर्गेन स्टैनली के मुताबिक चीन के आर्थिक आंकड़ों से साफ है कि उसकी मुद्रा बाजार दर से अधिक आंकी हुई थी और वह वास्तविक एक्सचेंज रेट के निकट युआन को स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. इसके साथ ही जानकारों का मानना है कि चीन की कोशिश है कि वह अपनी मुद्रा को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के रिजर्व एसेट (स्वेशल ड्राईग राइट्स) में शामिल कराना चाहता है. इस कोशिश में सफल होने पर डॉलर, यूरो, येन और पाउन्ड की तर्ज पर युआन भी एक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा की तर्ज पर अपनी पहचान बना लेगा.

2 साल के निचले स्तर पर पहुंचा रुपया
ग्लोबल फॉरेक्स मार्केट पर बुधवार को रुपया गिरकर दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गया. हालांकि मॉर्गेन स्टैनली का मानना है कि भारत आर्थिक सुधारों की तरफ आगे बढ़ रहा है और आने वाले दिनों में भारत की स्थिति मजबूत होती दिखाई देगी. हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था में रिस्क बर्दाश्त करने की छमता फिलहाल स्थिर बनी हुई है लेकिन इसमे गिरावट आने पर देश में और निवेश लाने में दिक्कतें बढ़ सकती है. इसके चलते भारतीय मुद्रा में गिरावट भी देखने को मिल सकती है. बहरहाल मॉर्गेन स्टैनली के मुताबिक अन्य एशियाई मुद्राओं के मुकाबले भारतीय रुपये की स्थिति बेहतर है.

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