दुनिया भर को UAV बेचता है चीन, मगर आकाश से टपकते रहते हैं उसके ड्रोन

CH-4 को जब पहली बार नवंबर 2012 में झुहाई एयरशो में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया था तो अल्जीरिया ने इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी. फिर बातचीत हुई और 2013 में दक्षिणी अल्जीरिया के तमनरासेट एयरबेस पर ट्रायल शुरू हुआ. हालांकि, गुईझोऊ झियांगलॉन्ग या सोर ड्रैगन UAV की खरीद पर भी बात हुई लेकिन वित्तीय दबावों की वजह से सिरे नहीं चढ़ सकी.

Advertisement
सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2020,
  • अपडेटेड 10:46 PM IST

  • CH-4B UCAV को पाकिस्तान, इराक, सऊदी अरब को निर्यात कर रहा चीन
  • 5,000 मीटर की ऊंचाई और 14 से 30 घंटे तक उड़ान भरने की क्षमता से लैस है UAV

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) ने मानव रहित एरियल व्हीकल्स (UAVs) और मानव रहित कॉम्बेट व्हीकल्स (UCAVs) के क्षेत्र में खासी प्रगति की है. लेकिन चीनी UAVs और UCAVs के निर्यात किए जाने वाले संस्करणों के साथ सब कुछ सही नहीं है. इन संस्करणों के साथ आकाश से नियमित तौर पर गिरने की शर्मिंदगी जुड़ी है.

Advertisement

साल 2001 में अमेरिकी नौसेना के EP-3E ARIES-II सिग्नल्स खुफिया विमान को PLAAF J-8 विमान ने हैनान द्वीप के लिंगशुई हवाई अड्डे पर उतरने के लिए मजबूर किया था. उसके बाद से तकनीकी प्रगति बढ़ी है और देखी जा सकती है.

अमेरिकी विमान के चालक दल को वॉशिंगटन डीसी लौटा दिया गया था, लेकिन विमान को 15 दिन तक चीन ने रोके रखा था. ये संदेह जताया गया था कि चीनी इंजीनियरों ने रिवर्स इंजीनियरिंग तकनीकों के जरिए सभी अति संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक्स पहलुओं को सीख लिया. इस काम में वो बहुत दक्ष माने जाते हैं.

चीनी UAV तकनीक को तब और बढ़ावा मिला, जब ईरानी सेनाओं ने काशमर शहर के ऊपर उड़ रहे USAF RQ-170 सेंटिनल के एक अति गोपनीय ड्रोन को गिरा दिया. ये ड्रोन कुछ परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहा था. समझा जाता है कि ईरान ने इस ड्रोन के इलेक्ट्रोनिक्स चीन को बेच दिए थे.

Advertisement

चीन CH-4B UCAV के विशेष संस्करण को कई देशों को निर्यात कर रहा है. इनमें पाकिस्तान, इराक, मिस्र, सऊदी अरब और अल्जीरिया शामिल हैं.

CH4 से जुड़ी अहम बातें

चीन में CH-4 का निर्माण चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन (CASC) द्वारा किया जाता है. यह सरकारी स्वामित्व वाले निगम की ओर से बनाए जाने वाले रेनबो सीरीज के विमानों में से एक है.

UAV बहुत कुछ अमेरिकी ड्रोन MQ-9 रीपर की तरह दिखता है. सबसे बड़ा दिखाई देने वाला अंतर है कि MQ-9 में जो लोअर वेंट्रल फिन्स (डैने) हैं, वो CH-4 पर नहीं हैं.

चीन विभिन्न देशों की जरूरतों और भुगतान की क्षमता के हिसाब से अलग-अलग वेरिएंट बेच रहा है. सैटेलाइट तस्वीरों से इन वैरिएंट्स के डैनों के फैलाव में अंतर के बावजूद इनके बारे में सब समझ लेना बहुत मुश्किल है.

UAV में 5,000 मीटर तक की ऊंचाई और 14 से 30 घंटे तक काम करने की क्षमता है, ये साथ लेकर जाने वाले पेलोड पर निर्भर करता है. इसके ऊपर स्थित सैटेलाइट कम्युनिकेशन डोम इसे रिमोट से संचालित करने लायक बनाता है. इसकी रेंज 5,000 किलोमीटर तक है लेकिन ये लोड बढ़ाने पर घट जाती है.

चार ठोस पोस्ट्स के साथ UCAV लांजियान-7 और ब्लू एरो-7 लेजर गाइडेड बम ले जा सकता है और GPS नेवीगेशन के साथ अचूक निशाना लगा सकता है.

Advertisement

अल्जीरिया की ओर से खरीद

CH-4 को जब पहली बार नवंबर 2012 में झुहाई एयरशो में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया था तो अल्जीरिया ने इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी. फिर बातचीत हुई और 2013 में दक्षिणी अल्जीरिया के तमनरासेट एयरबेस पर ट्रायल शुरू हुआ. हालांकि, गुईझोऊ झियांगलॉन्ग या सोर ड्रैगन UAV की खरीद पर भी बात हुई लेकिन वित्तीय दबावों की वजह से सिरे नहीं चढ़ सकी.

अल्जीरिया में दुर्घटनाएं

चीन ने 2013 के अंत में इस UAV का अल्जीरिया में टेस्ट शुरू किया. हालाँकि समस्याएं सामने आनी शुरू हुईं. अल्जीरियाइयों ने खास तौर पर लैंडिंग के दौरान कंट्रोल मुद्दों का हवाला दिया.

पहली दुर्घटना 2013 में अल्जीरिया के टिंडौफ एयरबेस के पास टेस्टिंग पीरियड के दौरान हुई. इस दुर्घटना में UAV तबाह हो गया.

इसे भी पढ़ेंः बॉर्डर पर बीएसएफ ने मार गिराया पाकिस्तान का ड्रोन, हो रही थी हथियार की तस्करी

दूसरा हादसा 9 मार्च 2014 को ऐन ओस्सेरा एयरबेस के पास हुआ. 200 मीटर से नीचे लैंडिंग के दौरान क्राफ्ट पर नियंत्रण खोने को हादसे का कारण बताया गया.

अब, ट्विटर हैंडल @clashreport ने बीर रोगा बेस के पास अल्जीरियाई वायु सेना की ओर से तीसरे हादसे की सूचना दी गई है.

असल वजह

कई देशों की ओर से रिपोर्ट की गई ऐसी सभी दुर्घटनाओं की असल वजह उन अनुबंधों और समझौतों की संदिग्ध प्रकृति लगती है, जिस पर चीन ने उनके साथ हस्ताक्षर किए हैं.

Advertisement

चीन एक निश्चित वैरिएंट के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर करता है, लेकिन कई बदलावों के साथ निचले स्तर का संस्करण मुहैया कराता है. ऐसे में खरीदार देश के पास उसे स्वीकार करने के सिवा कोई विकल्प नहीं होता, क्योंकि उसकी जरूरत तात्कालिक होती है.

जैसा कि अल्जीरिया को लेकर हुआ. 2012-14 में लीबिया, माली और नाइजर के साथ सीमा की स्थिति बिगड़ने के अल्जीरिया दबाव महसूस कर रहा था. क्योंकि ये सब एक ही समय में हो रहा था.

इसे भी पढ़ेंः 15 जून को क्या हुआ? पढ़ें गलवान में भारतीय वीरों के शौर्य की हैरतअंगेज कहानी

चीन ऐसे सौदों के लिए बाद में स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध कराने और आफ्टर सेल्स सर्विस में आनाकानी करने के लिए भी कुख्यात है. इसके बजाय, चीनी बिचौलिए बेहतर UAV के लिए नए विकल्प पेश करते हैं.

विशाल संसाधनों वाले ये अफ्रीकी देश जातीय और सांस्कृतिक भिन्नता के लिए जाने जाते हैं. चीन इनका शोषण करने में लगा है. कई बार चीनी राजनयिकों को दो प्रतिद्वन्द्वी पक्षों को हथियार और शस्त्र प्रदान करते हुए और दोनों ओर से कमाई करते हुए पाया गया है.

(कर्नल विनायक भट (रिटायर्ड) इंडिया टुडे के कंसल्टेंट हैं, वे सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषक हैं और उन्होंने 33 वर्ष तक भारतीय सेना में सेवा की)

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement