ताजा खाने से लेकर रोजगार तक, जेल में कैदियों को कानून देता है ये अधिकार और सुविधाएं

कानून के तहत किसी भी कैदी को उसके मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है. कानून किसी कैदी के साथ दुर्व्यवहार या अमानवीय व्यवहार करने या फिर क्रूरता बरतने की इजाजत नहीं देता है. जेल में बंद कैदियों को शुद्ध पानी, पौष्टिक खाना, रोजगार और मेडिकल सुविधाएं पाने का मौलिक अधिकार है.

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तिहाड़ जेल तिहाड़ जेल

राम कृष्ण

  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:30 AM IST

  • जेल में कैदियों को प्रिजन्स एक्ट और प्रिजन्स मैनुअल के तहत मिलती हैं सुविधाएं
  • जेल में कैदियों के साथ दुर्व्यवहार करने या क्रूरता बरतने की नहीं है इजाजत

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता पी चिदंबरम के जेल जाने के बाद से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जेल में कैदियों को कैसे रखा जाता है? उनको क्या-क्या सुविधाएं दी जाती हैं? कैदियों के साथ कैसा बर्ताव किया जाता है? जेल में बंद कैदियों के क्या अधिकार होते हैं?

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इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट उपेंद्र मिश्रा का कहना है कि जेल प्रशासन और कैदियों के अधिकार और कर्तव्यों को लेकर प्रिजन्स एक्ट-1894 और मॉडल प्रिजन्स मैनुअल बनाए गए हैं. इसके अलावा दिल्ली की जेलों को रेगुलेट करने के लिए दिल्ली प्रिजन्स एक्ट 2002 भी बनाया गया है. इनमें जेल में बंद कैदियों को पर्याप्त सुविधाएं देने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए प्रावधान किए गए हैं.

एडवोकेट मिश्रा ने बताया कि मॉडल प्रिजन्स मैनुअल के तहत किसी अपराध में सजा पाए कैदियों की अपेक्षा अंडर ट्रायल कैदियों को ज्यादा अधिकार दिए जाते हैं. उन्होंने बताया कि संविधान में कैदियों को भी मौलिक अधिकार दिए गए हैं. कैदी होने का मतलब यह कतई नहीं होता है कि उनके सभी मौलिक अधिकार खत्म हो गए हैं.

जेल में क्रूरता होने पर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं कैदी

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सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट मिश्रा का कहना है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के बिना किसी भी कैदी को उसके मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है. कानून किसी कैदी के साथ दुर्व्यवहार या अमानवीय व्यवहार करने या फिर क्रूरता बरतने की इजाजत नहीं देता है. अगर जेल में किसी कैदी के मौलिक अधिकारों का हनन होता है, तो वह अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट और अनुच्छेद 226 के तहत सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.

जेल में मेडिकल सुविधा और कानूनी सलाह मुफ्त

उपेंद्र मिश्रा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट भी साफ कह चुका है कि जेल में कैदियों के साथ पशुओं की तरह बर्ताव नहीं किया जा सकता है. जेल प्रशासन और सरकार की जिम्मेदारी है कि वो जेल में बंद कैदियों को वो सभी सुविधाएं मुहैया कराएं, जो रोजमर्रा की जिंदगी के लिए जरूरी हैं. मॉडल जेल मैनुअल के मुताबिक कैदियों को स्वच्छ पानी, ताजा खाना, पहनने के लिए कपड़े, बिस्तर और मेडिकल सुविधा समेत ढेर सारी सुविधाएं दी जाती हैं.

इसके अलावा कैदियों को मुफ्त में कानूनी सलाह, परिजनों को खत लिखने की सुविधा और मुलाकात करने की इजाजत, रोजगार और कई बार अंडर ट्रायल कैदी को मीडिया से बातचीत करने की इजाजत भी दी जाती है.

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इसके साथ ही जेल में बंद कैदी को सुरक्षा भी दी जाती है. अगर किसी कैदी को जेल जाने से पहले किसी स्पेशल कैटेगरी की सुरक्षा मिली है, तो उसको विशेष सुरक्षा मुहैया कराई जाती है.

कैदी को मिलता है 2400 कैलोरी का पौष्टिक भोजन

मॉडल प्रिजन्स मैनुअल के मुताबिक एक किचन में सिर्फ 250 कैदियों का ही खाना बनाया जाता है. इसके ज्यादा कैदी होने पर उनके लिए दूसरे किचन की व्यवस्था की जाती है. ऐसे किचन में 2 मीटर तक टाइल्स लगी होती हैं. मॉडल प्रिजन्स मैनुअल के मुताबिक जहां कैदियों के लिए खाना बनता है, वो किचन हाईटेक होते हैं. उसमें पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था की जाती है. जेल में कैदियों के लिए एलपीजी गैस से खाना बनाया जाता है. कैदियों के लिए रोटी बनाने की मशीन, आटा बनाने की मशीन और हॉट प्लेट समेत अन्य बेहतरीन सुविधाएं दी जाती हैं. कैदियों को ऐसा खाना दिया जाता है, जिसमें कैलोरी की मात्रा 2,000 से लेकर 2,400 तक होती है.

मॉडल प्रिजन्स मैनुअल के मुताबिक कैदियों को जेल में सुबह नाश्ता, दोपहर में खाना (लंच) और फिर रात में खाना (डिनर) दिया जाता है. नाश्ता, लंच और डिनर ताजा दिया जाता है. ठंडा या बासी खाना नहीं दिया जाता है. इसके अलावा अगर कैदी को खाना को लेकर किसी तरह की दिक्कत है, तो वो इसकी शिकायत भी कर सकता है. कैदियों को उनके सेहत की आवश्यकता और इलाके के वातावरण के मुताबिक खाना दिया जाता है. कैदियों की खुराक मेडिकल अधिकारी की सलाह से निर्धारित किया जाएगा.

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जेल में अपनी पसंद के कपड़े पहनने की इजाजत

अंडर ट्रायल कैदियों को अपने घर से कपड़े लाकर पहनने की इजाजत होती है, लेकिन सजायाफ्ता कैदियों को ऐसी इजाजत नहीं होती है. चिदंबरम अंडर ट्रायल कैदी हैं. लिहाजा उनको अपनी पसंद के कपड़े पहनने की इजाजत है.

मॉडल प्रिजन्स मैनुअल के मुताबिक कैदियों के लिए अलग से हॉस्पिटल होता है, जिसमें डॉक्टर से लेकर दवाएं तक इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं. अगर हम आम बोलचाल की भाषा में कहें तो जेल के हॉस्पिटल जिला स्तर के किसी हाईटेक हॉस्पिटल से कम नहीं होते हैं. मानसिक रोग के शिकार कैदियों के लिए मनोचिकित्सक भी रखे जाते हैं. इसके अलावा जेल में बंद कैदियों को मुफ्त में कानूनी मदद देने की भी व्यवस्था की गई है.

कैदियों को काम करने पर मिलता है मेहनताना

मॉडल प्रिजन्स मैनुअल के मुताबिक कैदियों को जेल के अंदर काम करने की इजाजत दी जाती है, जिसके एवज में उनको मेहनताना दिया जाता है. किसी भी कैदी से मुफ्त में काम नहीं कराया जा सकता है. बिना मेहनताना के काम कराने से कैदी के मौलिक अधिकारों का हनन होता है.

यानी कानून के तहत जेल में रहने वाले कैदियों के भी अधिकार होते हैं, जिनके आधार पर वो अपने साथ होने वाले गलत व्यवहार से बच सकते हैं.

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