रायपुर की वीआईपी रोड पर राज्य के पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर के काफिले को साइड ना देना एक महिला को महंगा पड़ गया. मंत्री के काफिले में तैनात पुलिसकर्मी कार चला रही महिला को हिरासत में लेकर तेलीबांधा थाने के हवाले कर दिया. पुलिस कर्मियों ने जब महिला को थाने में बैठाया तो हंगामा खड़ा हो गया. आरोपी महिला कोई और नहीं ग्रामीण विकास संस्थान निमोरा की पूर्व ट्रेनर मंजीत बल थीं. मंजीत बल का मंत्री चंद्राकर के साथ अरसे से विवाद चल रहा है. थाने में बवाल मचा तो आखिरकर पुलिस ने मंजीत बल को केस दर्ज किए बिना ही रिहा कर दिया. करीब घंटे भर तक पुलिस कर्मियों ने महिला को थाने में बैठाए रखा. पीड़ित मंजीत बल ने पुलिस पर जबरन परेशान करने का आरोप लगाया है.
मामला सोमवार रात आठ-साढ़े आठ बजे का है. राज्य सरकार में मंत्री अजय चंद्राकर किसी विवाह समारोह में शामिल होने जा रहे थे. उनकी तेज रफ़्तार कार अपने काफिले के साथ दौड़ रही थी. इस दौरान और भी कई वाहन अपनी रफ़्तार में सड़क पर थे. तभी अचानक एक कार उनके काफिले के सामने आ गई. संयोग वश कार में मंजीत बल ही सवार थीं.
मंत्री और महिला के बीच पुरान विवाद
ग्रामीण एवं विकास विभाग में प्रशिक्षण अधिकारी रहीं मंजीत बल 2015 में उस समय चर्चा में आईं जब उन्होंने निमोरा संस्थान में प्रशिक्षण ले रही 9 महिला जनपद CEO के साथ मंत्री जी के बंगले पर अभद्रता के मामला में चंद्राकर के खिलाफ महिला उत्पीड़न की जांच शुरू कर दी थी . हालांकि राजनीतिक दबाव के चलते शिकायतकर्ता महिलाएं अपने बयानों से पलट गईं. इसके बाद मंत्री अजय चंद्राकर ने विभागीय क्रिया-कलापों में मंजीत बल की कार्यप्रणाली को असंतोषजनक पाया और उन्हें बर्खास्त कर दिया. मंजीत बल ने भी मंत्री जी पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए कोर्ट में केस भी दायर कर रखा है.
स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर का कहना है कि क्या घटना हुई उन्हें नहीं पता. वो अपनी कार में सवार थे एक दो मिनट कार की रफ़्तार धीमी हुई और वो रुके भी लेकिन उन्होंने मंजीत बल को लेकर अनभिज्ञता जाहिर की है. तेलीबांधा थाने के प्रभारी इस्पेक्टर एन डी साहू के मुताबिक मंजीत बल नामक महिला को थाने में लाया गया था. कोई वाद-विवाद नहीं ट्रैफिक नियमों के तहत गाड़ी के लाइसेंस और जरूरी दस्तवेजों की पड़ताल के बाद उन्हें छोड़ दिया गया. उनके मुताबिक रात में वाहनों की चेकिंग रूटीन प्रक्रिया है.
सुनील नामदेव