दिल्ली से गिरफ्त में आई माओवादियों की सहयोगी सोढ़ी सोनी पुलिस और अस्पताल, जहां उसे चोटिल होने के कारण भर्ती किया गया था, दोनों के ही लिए सिरदर्द बनती जा रही है.
17 अक्तूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजी गई सोढ़ी को चोटिल होने और तबियत खराब होने के चलते जगदलपुर के महारानी अस्पताल में भर्ती किया गया था जहां पहुचते ही उसने नया नाटक शुरू कर दिया.
सोढ़ी ने अस्पताल में भूख हड़ताल शुरु कर दी और इसकी वजह बताई जंजीरों में जकड़ा जाना, हालांकि इसके बाद उसके पैरों की बेड़ियां खोल दी गई. फिर पुलिस को लपेटे में लेते हुए सोढ़ी ने आरोप लगाया कि पुलिस उसे इस मामले में फंसाने की कोशिश कर रही है. उसने पुलिस की कार्रवाई और अपने खिलाफ लगे आरोपों की उच्च स्तरीय जांच की भी मांग की.
सोढ़ी का कहना है कि इस मामले में उसे पुलिस ने फंसाया है और वह किरंदुल थाना में पदस्थ एक आरक्षक मंकार, जो इस मामले में उसका नाम आने से पहले उसके संपर्क में था, के उकसावे में आकर ही फरार हुई थी. इसके बाद उसे एस्सार मामले से जोड़ दिया गया और फिर पुलिस और माओवादी दोनों ही उसके पीछे पड़ गए.
सोढ़ी कहती है कि सुप्रीम कोर्ट से न्याय पाने की आस में वह कुछ लोगों की मदद से ओडीशा होते हुए विशाखापटनम पहुंची और यहां से दिल्ली रवाना हो गई. सोढ़ी के मुताबिक दो दिन की पुलिस रिमांड के दौरान उससे कड़ी पूछताछ हुई थी जिसके चलते उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है.
पूछताछ के दौरान उसने ठीक से खाना भी नहीं खाया था इसलिए तबियत बिगड़ गई और 10 अक्टूबर की सुबह वह कोतवाली के बाथरुम में गश खाकर गिर पड़ी जिसकी वजह से उसे ये चोटें आई हैं. बता दें कि सोढ़ी के सिर पर सूजन है जबकि कमर में भी चोट लगी है, इसे मामूली चोट बताया जा रहा है.
चोटिल होने की वजह से सोढ़ी का बयान अदालत परिसर में एंबुलेंस में ही दर्ज किया गया था जिसके बाद प्रथम श्रेणी दंडाधिकारी योगिता वासनिक ने उसे 17 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में जगदलपुर सेंट्रल जेल भेज दिया था. यहां महिला चिकित्सक ने उसकी जांच कर तत्काल महारानी अस्पताल भेज दिया था. लेकिन तबियत और बिगड़ जाने के बाद उसे रायपुर के भीमराव अंबेड़कर अस्पताल भेजना पड़ा.
हालांकि सोढ़ी को रायपुर भेजे जाने की चिकित्सक दबी जुबान से सिर्फ एक ही वजह बताते हैं वह यह कि महारानी अस्पताल की सिटी स्कैन मशीन खराब है. इधर सोढ़ी ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस उसके साथ ऐसा व्यवहार कर रही है जैसा कि वह कोई चोर या डकैत हो.
वहीं एस्सार कंपनी की ओर से माओवादियों को आर्थिक मदद पहुंचाने के मामले के दो अन्य आरोपी एस्सार के महाप्रबंधक डी.वी.सी.एस. वर्मा और ठेकेदार बी.के.लाला को पहले ही दंतेवाड़ा से जगदलपुर जेल भेज दिया गया है.
गौरतलब है कि 9 सितंबर को दंतेवाड़ा पुलिस ने एस्सार के ठेकेदार बी.के.लाला को नक्सली समर्थक लिंगाराम कोडोपी को 15 लाख रु. देते हुए दबोचा लिया था जबकि लिंगाराम के साथ आई सोढ़ी भाग निकली थी, जिसे दिल्ली के कटवारिया सराय इलाके से 4 अक्तूबर को पकड़ा गया था.
इससे पहले सोढ़ी की तलाश में पुलिस ने पीयूसीएल की महासचिव कविता श्रीवास्तव के जयपुर स्थित घर पर भी दबिश दी थी. कविता का भी बस्तर से पुराना नाता है. इसी साल 10 फरवरी को वे स्वामी अग्निवेश के साथ जगदलपुर पहुंची थी और अगले ही दिन इन्होंने करियामेटा के जंगलों से माओवादियों की एक बड़ी जन अदालत से अगवा पुलिस के पांच जवानों को नाटकीय तरीके से रिहा करवाया था.
दंतेवाड़ा जिले के पालनार इलाके के बड़े बेड़मा की रहने वाली 35 वर्षीय सोढ़ी बेबाक और तेजतर्रार महिला है. पिछले करीब पांच साल से वह जबेली के बालिका आश्रम में बतौर अधीक्षिका काम कर रही है. जबेली के करीब ही वह समेली में रहती है.
उसने गीदम के एक गैर आदिवासी युवक अनिल पुटानी से शादी की थी, जो नकुलनार के कांग्रेसी नेता अवधेश सिंह गौतम के घर हुए माओवादी हमले के मामले में सालभर से दंतेवाड़ा जेल में बंद है. सोढ़ी की दो बेटियां और एक बेटा है, बड़ी बेटी को प्रदेश से बाहर कहीं पढने भेजा हुआ है जबकि अन्य दो बच्चे अपने नाना-नानी के पास ही रहते हैं. जबकि सोढी एस्सार मामले में ही दंतेवाड़ा जेल में बंद लिंगाराम कोडोपी, जो रिश्ते में उसका भतीजा लगता है, के साथ ही रहती है.
सोढ़ी के पिता मुंडरा को, जो दंतेवाड़ा के पूर्व विधायक नंदाराम के भाई हैं, उनके बड़े बेड़मा स्थित घर पर माओवादियों ने बीते 15 जून को गोली मार दी थी. इससे पहले घर का सारा सामान भी लूट लिया था और ट्रैक्टर में आग लगा दी थी. वे भी लंबे समय से महारानी अस्पताल में भर्ती थे. लेकिन जैसे ही उनकी बेटी को यहां लाना तय हुआ, मुंडरा को 10 अक्टूबर को तुरत-फुरत छुट्टी दे दी गई.
वीरेंद्र मिश्र