छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही अपने जिले के पूर्व कलेक्टर को जमकर लताड़ा. वो भी इसलिए क्योंकि तत्कालीन कलेक्टर ने उनके जमीन से जुड़े एक विवादित मामले की जांच के आदेश दिए थे. तत्कालीन कलेक्टर पी. दयानंद को शिकायत मिली थी कि स्थानीय विधायक जयसिंह अग्रवाल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए एक आदिवासी की जमीन बगैर वैधानिक कार्यवाही के खरीद ली. इस जमीन की रजिस्ट्री रद्द कर दी थी.
अब जब कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई और विधायक महोदय खुद राजस्व मंत्री बन गए तो उन्होंने अपने जिले के तत्कालीन कलेक्टर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि अब उस कलेक्टर के भ्रष्टाचारों की जांच होगी. तहसीलदार, पटवारी, आरआई की औकात नहीं थी कि मेरे घर में घुस जाए, लेकिन तत्कालीन कलेक्टर के संरक्षण में यह सब हुआ था. अब आईएएस पी. दयानंद के कार्यकाल में हुए सारे घपलों की जांच कराई जाएगी और उन घपलों की सजा आईएएस पी. दयानंद को जरूर मिलेगी.
यह था मामला
12 अगस्त 2015 से 30 मई 2017 तक पी. दयानंद कोरबा के कलेक्टर थे. इस दौरान कोरबा के ग्राम चुइया में आदिवासी की जमीन खरीदने को लेकर विधायक जयसिंह अग्रवाल और चार अन्य के खिलाफ एडीशनल सेशन कोर्ट कोरबा ने एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिया था. इस मामले में पूर्व में एक शिकायत पर कोरबा के तत्कालीन कलेक्टर पी. दयानंद ने विधायक जयसिंह अग्रवाल की जमीन को आदिवासी किसान की जमीन पाए जाने पर निरस्तीकरण का आदेश जारी किया था.
नियमों के मुताबिक, किसी आदिवासी की जमीन जब कोई गैर आदिवासी खरीदता है तो इसके लिए कलेक्टर से अनुमति लेनी होती है. कलेक्टर ने इस मामले में अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि विधायक ने राजस्व अधिनियम का उल्लंघन करते हुए इस मामले में जमीन की खरीदी बिक्री की है. लिहाजा उन्होंने इस जमीन की रजिस्ट्री रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ विधायक जयसिंह अग्रवाल ने राजस्व मंडल से स्थगन प्राप्त कर लिया था.
सुनील नामदेव