चार दिनों तक चलने वाला छठ व्रत दुनिया के सबसे कठिन व्रतों में से एक है. स्त्रियां अपने सुहाग और बेटे की रक्षा करने के लिए भगवान सूर्य के लिए 36 घंटों का निर्जला व्रत रखती हैं. वहीं, भगवान सूर्य धन, धान्य, समृद्धि आदि प्रदान करते हैं.
छठ पूजा में सुहाग की रक्षा के लिए स्त्रियां बड़ी निष्ठा और तपस्या से व्रत रखती हैं. सिंदूर और सुहाग का रिश्ते के बारे में हम सभी को पता है. फेरों के समय वधू की मांग में सिंदूर भरने का प्रावधान है. विवाह के पश्चात ही सौभाग्य सूचक के रूप में मांग में सिंदूर भरा जाता है. छठ पूजा में भी महिलाओं को माथे से लेकर मांग तक लंबा सिंदूर लगाए हुए देखा जाता है. इसके पीछे एक खास वजह है.
एक मान्यता के अनुसार, जो स्त्री अपने मांग के सिंदूर को बालों में छिपा लेती है, उसका पति समाज में भी छिप जाता है. उसके पति को सम्मान दरकिनार कर देता है. इसलिए यह कहा जाता है कि सिंदूर लंबा और ऐसे लगाएं कि सभी को दिखे कि यह सिंदूर माथे से लगाना आरंभ करके और जितनी लंबी मांग हो उतना भरा जाना चाहिए. यदि स्त्री के बीच मांग में सिन्दूर भरा है और सिंदूर भी काफी लंबा लगाती है, तो उसके पति की आयु लंबी होती है.
छठ का व्रत पति की लंबी आयु की कामना से रखा जाता है इसलिए सुहाग के प्रतीक सिंदूर को खास जगह मिलती है.
प्रज्ञा बाजपेयी