छठ घाटों का बुरा हाल, दिल्ली सरकार की तैयारियों से नाखुश छठ समिति

दिल्ली के वज़ीराबाद घाट पर दिल्ली सरकार की तैयारियों से छठ समिति के लोग नाख़ुश हैं. समिति की शिकायत है कि यमुना में पानी का स्तर भी काफी कम है और साफ सफाई भी सही तरीके से नहीं की गई है. इससे छठ व्रतियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.

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छठ घाटों पर पानी की कमी छठ घाटों पर पानी की कमी

रोशनी ठोकने / शुभम गुप्ता

  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 9:18 PM IST

'बिन पानी सब सून' तो आपने सुना ही होगा, लेकिन लगता है इस बार दिल्लीवालों को पूर्वांचल का महापर्व छठ भी बिना पानी के ही मानना पड़ेगा. ये इसलिए कह रहे हैं क्योंकि दिल्ली के छठ घाटों का हाल कुछ खास नहीं है. छठ पूजा के लिए जिस पवित्र जल की सबसे ज़्यादा ज़रूरत पड़ती है, व्रतियों को इस साल उसी पवित्र जल के लिए जद्दोजहद करनी पड़ेगी.

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24 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ ही पूर्वांचल का महापर्व छठ शुरू हो रहा है. लेकिन अगर दिल्ली सरकार के घाटों में चल रही तैयारियों की बात करें तो दिल्ली के ज़्यादातर घाट छठ पूजा के महापर्व के लिए तैयार नज़र नहीं आते. दिल्ली के वज़ीराबाद घाट पर दिल्ली सरकार की तैयारियों से छठ समिति के लोग नाख़ुश हैं. समिति की शिकायत है कि यमुना में पानी का स्तर भी काफी कम है और साफ सफाई भी सही तरीके से नहीं की गई है. इससे छठ व्रतियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.

दरअसल वज़ीराबाद घाट यमुना पार निवासियों के लिए एक प्रमुख घाट है, लेकिन तैयारियों के नाम पर इस घाट में बेशक दिल्ली सरकार ने घाट तैयार करने की कोशिश की हो, स्टेज और पंडाल सज रहे हों, लेकिन जिस यमुना नदी में हज़ारों व्रतियों को छठ पूजा के लिए सूर्य भगवान को अर्घ्य देना है. उसी यमुना में पानी का स्तर घुटनों से भी कम है.

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जबकि मान्यता है कि सूर्य भगवान को अर्घ्य देते वक़्त व्रती को कमर से ऊपर तक पानी में डूबकर खड़े होना होता है. समस्या सिर्फ पानी के स्तर को लेकर नहीं है बल्कि समस्या पानी की गुणवत्ता को लेकर भी है. घाट के किनारे काई जमा है, जिससे व्रतियों को फिसलकर गिरने का भी खतरा है.

छठ समिति के लोगों के मुताबिक हर साल छठ पूजा के 2-3 दिन पहले से ही यमुना में पानी छोड़ दिया जाता था. जिससे पानी के बहाव के साथ घाट की गंदगी बह जाती थी और पानी की गुणवत्ता भी बेहतर हो जाती थी. लेकिन इस साल अब तक यमुना में पानी नहीं छोड़ा गया है जिससे छठ समिति चिंतित है.

आपको बता दें कि पिछली बार दिल्ली के अंदर 268 घाटों पर छठ पूजा का आयोजन हुआ था जबकि इस बार कुल 564 घाट पर छठ पूजा का आयोजन हो रहा है. दिल्ली में कुल 11 सौ घाट हैं, जिनमें करीब दो सौ घाट पर एनजीटी के अंदर हैं. करीब 50 घाटों पर पक्कीकरण के लिए टेंडर चल रहा है. दिल्ली सरकार के विकास मंत्री गोपाल राय के मुताबिक छठ पर्व के मद्देनजर हरियाणा सरकार से बात हुई तो उन्होंने कहा कि यमुना में पर्याप्त पानी छोड़ा जाए. जिससे श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो.

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सुल्तानपुरी घाट पर भी नहीं नज़र आईं तैयारियां

दिल्ली के सुल्तानपुरी घाट पर भी स्वच्छता की व्यवस्था नहीं दिखाई दी. ना ही यहां के घाटों के लिए सरकार ने कोई व्यवस्था की है. यहां लोग खुद ही घाटों की सफाई कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि हम खुद ही यहां झाड़ू लगाते हैं. हमें अभी तक  सरकार से कोई मदद नहीं मिली है. हमने कई बार कहा है कि हमारा घाट बहुत छोटा है यहां 10 हज़ार लोग आते हैं. ऐसे में यहां जगह  की बहुत कमी रहती है.

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