कोरोनाः 54 सौ की दवा, 45 हजार में, दिल्ली से मुंबई तक ब्लैक में बिक रही रेमडेसिविर

इंडिया टुडे की अंडरकवर जांच से सामने आया कि जिन लोगों को जीवित रखने के लिए रेमडेसिविर की जरूरत है, हो सकता है उनकी पहुंच इस तक दवा तक संभव न हो. वजह है ब्लैक मार्केट में इसकी बहुत ऊंची कीमत.

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रेमडेसिविर की कालाबाजारी हो रही है (प्रतीकात्मक तस्वीर) रेमडेसिविर की कालाबाजारी हो रही है (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मो. हिज्बुल्लाह / मिलन शर्मा / दिव्येश सिंह

  • नई दिल्ली/मुंबई,
  • 16 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 11:42 PM IST

  • कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा रेमेडेसिविर की ब्लैक मार्केटिंग
  • बाजार में MRP से नौ गुना कीमत पर बिक रही कोरोना की दवा रेमेडेसिविर

मोटे मुनाफे की गरज से कुछ लोग महामारी को भुनाने से भी नहीं चूक रहे. इंडिया टुडे की जांच से खुलासा हुआ है कि कोविड-19 के लिए एक अहम जीवनरक्षक दवा की जमाखोरी और कालाबाजारी की जा रही है और फार्मा सप्लाई चेन से जुड़े कुछ शातिर ही इस नापाक काम को अंजाम देने में लगे हैं.

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अमेरिकी कंपनी गिलियड साइंसेज की निर्मित रेमडेसिविर को गंभीर रूप से बीमार कोरोनावायरस मरीजों के लिए उम्मीद की किरण के तौर पर देखा जाता है. क्लिनिकल ट्रायल्स में रिकवरी टाइम को कम करने में इस दवा की क्षमता साबित हुई है. गिलियड ने दवा के जेनेरिक संस्करण बनाने के लिए भारत में कई दवा निर्माता कंपनियों को लाइसेंस दिया है.

इंडिया टुडे की अंडरकवर जांच से सामने आया कि जिन लोगों को जीवित रखने के लिए रेमडेसिविर की जरूरत है, हो सकता है उनकी पहुंच इस तक दवा तक संभव न हो. वजह है ब्लैक मार्केट में इसकी बहुत ऊंची कीमत.

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दिल्ली के साकेत के पड़ोस में स्थित जेकेएम फार्मेसी में वसीम नाम के एक वेंडर ने 45,000 रुपये में दवा की एक शीशी देने की पेशकश की. इंडिया टुडे की इंवेस्टीगेटिव टीम ने पाया कि आधिकारिक तौर पर दवा की एक शीशी की कीमत 5,400 रुपये है.

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सरकार ने रेमडेसिविर की आपूर्ति प्रतिबंधित कर रखी है और इसकी ओवर-द-काउंटर बिक्री पर रोक है. लेकिन वसीम ने दवा का स्टॉक रखने का दावा किया और इसकी कीमत एमआरपी से नौ गुना बताई.

अस्पताल में भर्ती एक मरीज को आमतौर पर पांच दिनों के लिए रेमडेसिविर की छह शीशियों की जरूरत बताई जाती है. वसीम को इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने गंभीर रूप से कोविड-19 मरीज के तीमारदारों के तौर पर अपनी पहचान बताई.

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वसीम ने कहा, "यह (रेमडेसिविर) ब्लैक मार्केट में ही उपलब्ध है और कहीं नहीं."

रिपोर्टर- "ब्लैक में कितने की?"

वसीम- "यह 45,000 रुपये का है, भाई. एमआरपी 5,400 (रुपये) है. आपको यह एक से डेढ़ घंटे के बीच मिल जाएगी."

हालांकि, वेंडर ने लेनदेन का कोई बिल देने से इनकार किया.

वसीम- "भुगतान नकद में होना चाहिए. तीन शीशियों के लिए 135,000 (रुपये) है."

दिल्ली के यूसुफ सराय के पड़ोस में लाइफ केयर मेडिकोस में वेंडर अंकित मांगले और विपिन ने कबूल किया कि रेमडेसिविर की हर दिन के आधार पर बोली लगाई जा रही है. जो सबसे ऊंची बोली लगाता है उसे सप्लाई मिल जाती है.

मांगले- "मैंने इसे एक दिन पहले 35,000 रुपये में बेचा था."

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रिपोर्टर- "प्रिंट मूल्य क्या है?"

मांगले- "यह 5,400 रुपये की एक शीशी है, रेट्स में रोजाना उतार-चढ़ाव हो रहा है. यदि किसी दिन मांग कम होती है, तो कीमत कम होती है. वितरक मात्रा के आधार पर बेस प्राइस तय करते हैं."

मांगले के साथी वेंडर विपिन ने बताया कि आम तौर पर रेमडेसिविर के स्टॉक्स को लेकर बोली लगाई जाती है.

विपिन ने कहा, "अगर 100 शीशियां मौजूद हैं और आपको ज्यादा जरूरत है, तो आप 5,000 रुपये के बजाय 20,000 रुपये प्रति शीशी देने की पेशकश करेंगे. हर कोई अपने मरीजों को बचाना चाहता है. यह (बोली) बाजार में ही लगाई जाती है, सर, डिमांड के आधार पर."

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दक्षिण मुंबई के फार्मेसी बाजार में स्थित राज फार्मा के सूर्यकांत यादव ने रेमडेसिविर की छः शीशियों के लिए 180,000 रुपये की मांग की.

इस महीने की शुरुआत में, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से रेमडेसिविर की ब्लैक मार्केटिंग रोकने के लिए सख्त निगरानी की अपील की थी.

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