'योद्धा' में कैंसर से पीड़ित मरीज करते हैं एक-दूसरे से अनुभव साझा, UNESCO से मिला सम्मान

रात के करीब 1 बजे. एक महिला फोन कर रोते हुए आत्महत्या करने की बात कहती है. महिला लंबे अरसे से कैंसर की बीमारी से जूझ रही है. दुखद बात यह है कि महिला ने जिस 29 साल के युवक को फोन किया है. वो भी कैंसर की बीमारी से जिंदगी की लड़ाई लड़ रहा है.

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वेबसाइट, फोन के जरिए करते हैं एक-दूसरे की मदद वेबसाइट, फोन के जरिए करते हैं एक-दूसरे की मदद

विकास त्रिवेदी

  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2014,
  • अपडेटेड 9:51 PM IST

रात के करीब 1 बज रहे थे. एक महिला फोन कर रोते हुए आत्महत्या करने की बात कहती है. महिला लंबे अरसे से कैंसर की बीमारी से जूझ रही है. दुखद बात यह है कि महिला ने जिस 29 साल के युवक को फोन किया है. वो भी कैंसर की बीमारी से जिंदगी की लड़ाई लड़ रहा है. एम्स टॉपर्स ने मदद के लिए शुरू किया ब्लॉग

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दर्द बांटने से कम होता है. इसी सोच के साथ कैंसर की बीमारी से जूझ रहे आईटी इंजीनियर राहुल यादव ने एक नई मुहिम शुरू की है. 29 साल के राहुल 'योद्धा-द वॉरियर' संस्था के जरिए कैंसर पीड़ितों की मानसिक रूप से मदद करते हैं.

'योद्धा' से जुड़े लोग कैंसर की बीमारी से जूझ रहे लोगों से अपने अनुभव साझा करते हैं. राहुल यादव को हाल ही में यूनेस्को की ओर से 'बेस्ट प्रोजेक्ट कैटेगिरी' में 'पीपल्स च्वॉइस अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया. 'योद्धा' के संस्थापक राहुल यादव ने कहा, 'जिंदगी में कठिनाइयां आती रहती हैं, हम उनसे भाग नहीं सकते लेकिन उनका बहादुरी से सामना कर सकते हैं.'

राहुल पेशे से इंजीनियर हैं. उनकी पत्नी भी आईटी इंजीनियर हैं. बीमारी का पता चलने के बाद राहुल ने इलाज के लिए नौकरी छोड़ दी. राहुल कैंसर मरीजों की मदद के साथ अपनी बीमारी का इलाज भी कर रहे हैं. 'योद्धा' के जरिए बोनमैरो डोनर्स बोनमैरो डोनेट कर कैंसर पीड़ितों की मदद करते हैं. 'योद्धा' में कई अस्पतालों के डॉक्टर भी मरीजों को फोन पर या ऑनलाइन सलाह लेते हैं. राहुल ने कहा कि एक मरीज जो काफी वक्त से कैंसर की बीमारी से जूझ रहा है, उसे पता होता है कि किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए. ऐसे में एक मरीज दूसरे मरीज को सलाह देकर इस बीमारी से लड़ने की ताकत देता है.

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yoddhas.com और facebook.com/yoddhas में कैंसर की बीमारी से लड़ रहे लोग आपस में बात करते हैं. एक मरीज के सवालों का जवाब दूसरा मरीज देता है. जवाब देने वालों में कई बड़े अस्पताल के डॉक्टर भी शामिल होते हैं. राहुल ने कहा कि हमारे साथ काफी लोग जुड़े हुए हैं, जिन्हें बोनमैरो की जरूरत है. हमारी कोशिश रहती है कि ज्यादा से ज्यादा युवा हमारे साथ जुड़ें. बोनमैरो देने से किसी तरह का कोई शारीरिक नुकसान नहीं है. हालांकि एक दो दिन डोनर को मामूली कमजोरी महसूस होती है. दूसरे के लिए बोनमैरो ढूढ़ने वाले राहुल को भी एक बोनमैरो डोनर की जरूरत है.

मरीजों के मरीजों की मदद करने के बारे में राहुल ने बताया कि अमेरिका जैसे देशों में यह बहुत आम बात है. लेकिन आमतौर पर भारत में कोई मरीज किसी दूसरे मरीज की मदद नहीं करता है. ऐसे में हमारी कोशिश है कि हम लोगों की मदद कर सकें. दुर्भाग्य से अभी हमारी इस पहल का फायदा उन लोगों को नहीं मिल रहा है. जो इंटरनेट पर नहीं हैं. पर हम ऐसी ऐप बनाने की सोच रहे हैं. जिससे कोई भी कैंसर मरीज अपने अनुभव वीडियो में रिकॉर्ड कर सके. हम इस तरह की वीडियो को लोगों के मोबाइल में भेजेंगे.

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राहुल ने बताया कि अब तक हम करीब 2 हजार लोगों की सलाह देकर मानसिक मदद कर चुके हैं. भारत में हर आदमी के पास हर बात में डॉक्टर के पास जाने के लिए रुपये नहीं होते हैं. ऐसे में इंटरनेट की मदद से हम लोगों की ऑनलाइन मदद करते हैं. 'योद्धा' कॉलेज के युवाओं के साथ भी काम करते हैं. राहुल को 'मल्टीपल मायलोमा कैंसर' है. राहुल ने कहा कि इस बीमारी का इलाज लगातार चलता रहता है. इलाज के दौरान काफी दर्द से गुजरना पड़ता है. ऐसे में 'योद्धा' के लिए काम भी करना होता है. परिवार से समर्थन मिलने के बारे में राहुल ने बताया कि शुरू में तो परिवार के लोग नहीं मानते थे. लेकिन बाद में उन्हें लगा कि मैं इस काम को करने के बाद खुश हूं. तो उन्होंने भी मुझे सपोर्ट किया. इस नई तरह की कोशिश से कैंसर के मरीज मानसिक तौर पर खुद को संतुष्ट और अपनापन महसूस कर पाते हैं. राहुल ने कहा कि हमारी कोशिश है कि हम ज्यादा लोगों की मदद कर उनके इलाज में मदद कर सकें. मगर यह लड़ाई थोड़ी लंबी है.

 रात में 1 बजे फोन पर जिस महिला ने आत्महत्या करने की इच्छा लिए राहुल को फोन किया था. फोन पर बात करने के बाद उन्होंने अपना ख्याल बदल दिया. आज वो महिला अपना बहादुरी के साथ इलाज करा रही हैं. कैंसर से लड़ रहे ऐसे और भी कई लोग हैं. जो फोन पर, मिलकर ,वेबसाइट और अपने-अपने तरीकों से एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं और जिंदगी को जीने के लिए हर वो कोशिश कर रहे हैं. जो उन्हें और बाकी मरीजों के चेहरे पर छोटी सी मुस्कान ला सके.

देखिए क्या है योद्धा का संकल्प

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