नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को लेकर अन्य देशों के साथ संवाद में कमी की खबरों के विपरीत विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि मोदी सरकार के इस निर्णय के पीछे की वजहों से दुनिया को अवगत कराया जा चुका है. उन्होंने कहा कि इसके लिए कई तरीके अपनाये गए हैं.
इस विषय पर सवाल करने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, “ऐसी खबरें सामने आयी थीं. यह तथ्यत: गलत है. हमने सभी देशों से पहुंच बनाई है. हमने अपने मिशन और पोस्ट को लिखा और उन्हें मेजबान सरकारों के साथ सीएए और एनआरसी पर अपना दृष्टिकोण साझा करने के लिए कहा.”
सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि सभी भारतीय मिशन और पोस्ट यानी पदाधिकारियों को इस मुद्दे की "संवेदनशीलता" से परिचित कराया गया कि देशों की राजधानियों तक पहुंच बनाने के लिए मानक प्रक्रियाओं का पालन करें. ऐसा अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद भी किया गया था, अयोध्या फैसले के बाद भी ऐसा किया गया और CAA के बाद भी ऐसा ही किया गया.
CAA भारत का आंतरिक मामला
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने विस्तार से बताते हुए कहा, “हमने उनसे कुछ चीजें शेयर करने को कहा था. पहला, कि यह भारत का आंतरिक मामला है. दूसरा, हमने उनसे यह बताने के लिए कहा कि यह अधिनियम पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए है. तीसरा, हमने उन्हें यह भी अवगत कराया कि अन्य समुदायों, जो भारत की नागरिकता चाहते हैं, के लिए उपलब्ध विकल्पों को यह कानून प्रभावित नहीं करता है. चौथा, यह आस्था के आधार पर किसी की नागरिकता नहीं छीनता है. औ अंतिम, यह भारतीय संविधान के मूल ढांचे को भी प्रभावित नहीं करता है.”
दूसरे देशों को सूचना दे रहा है भारत
सीएए को केवल तीन देशों के "प्रताड़ित अल्पसंख्यकों" तक सीमित रखने के सवाल पर सूत्रों ने कहा कि यह भारत के निकटवर्ती देश हैं जहां से अल्पसंख्यक भारत में आए हैं.सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि जो भी देश इस मसलें पर स्पष्टता चाहता है, उस देश के साथ बेहतर समझ कायम करने के लिए भारत इस मामले पर सूचनाएं "साझा" करने को तैयार है.
रवीश कुमार ने कहा कि भारत ने उन सभी मुद्दों को वैश्विक समुदाय के साथ साझा किया है जिनके कारण बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं. “दो-स्तरीय रणनीति” अपने नाते हुए विदेश मंत्रालय ने यहां मौजूद राजदूतों के अलावा, दूसरे देशों में अपने राजदूतों के माध्यम से संवाद कायम करने की कोशिश की है.
गीता मोहन