महाराष्ट्र के महाड हादसे में बस ड्राइवर की बहादुरी की बात सामने आ रही है. दो अगस्त की रात को जब रायगढ़ जिले के महाड शहर के पास सावित्री नदी के पुल पर हादसा हुआ, तो ड्राइवर गोरखनाथ सीताराम मुंडे ने बस को आखिरी पल तक नदी में गिरने से बचाने की पुरजोर कोशिश की थी. मौत सामने से आ रही थी, लेकिन ड्राइवर यात्रियों को बस से सुरक्षित निकालने में जुटे रहे.
बस की तकनीकी जांच में सामने आई बात
यह बात तब सामने आई, जब MH 40 N 9739 बस को सर्च टीम ने सावित्री नदी की गहराई से निकाला और डिपो में ले जाकर इसकी तकनीकी जांच की गई. जांच के दौरान पता चला है कि बस ड्राइवर गोरखनाथ सीताराम मुंडे ने बस रोकने के लिए बस के हैंड ब्रेक का इस्तेमाल किया था. हादसे की रात तेज बारिश हो रही थी, ऐसे में पुल पर तेज फिसलन थी. इससे बस असंतुलित भी हो गई थी. बस ड्राइवर को शायद सामने पुल गिरता हुआ दिखाई दिया होगा या फिर दूसरी बस पुल ढहने से नीचे गिरती नजर आई होगी. ऐसे में बस को रोकने के लिए उन्होंने हैंड ब्रेक का इस्तेमाल किया था, लेकिन पुल गिरने से उसके साथ बस भी सावित्री नदी के तेज बहाव में बह गई.
जिम्मेदार ड्राइवर थे गोरखनाथ मुंडे
महाड बस डिपो के प्रमुख शिवाजी जाधव ने बताया कि इस हादसे के बाद बस का मुआयना करते हुए पाया गया है कि ड्राइवर ने बस को रोकने की काफी कोशिश की होगी. जानकारी ये भी है किे गोरखनाथ मुंडे की अच्छी ड्राइविंग के लिए उन्हें रात का सफर करने की जिम्मेदारी दी जाती थी. बस ड्राइवर के बेटे दीपक गोरखनाथ मुंडे ने बताया कि उसके पिता को बेहतरीन और जिम्मेदार ड्राइवर के खिताब से नवाजा गया था, क्योंकि अबतक उन्होंने एक भी एक्सीडेंट नहीं किए थे. वो सुरक्षित तरीके से बस चलाते थे.
अब तक निकाले जा चुके हैं 26 से ज्यादा शव
बता दें कि दो अगस्त को महाराष्ट्र के रायगढ़ इलाके के महाड पुल के गिर जाने से राज्य परिवहन मंडल की दो बसें, एक एसयूवी सावित्री नदी में बह गई थी. हादसे में 40 लोगों की मौत की आशंका है. अब तक 26 से ज्यादा शव निकाले जा चुके हैं. एक बस को ढूंढने में बचाव कार्य करने वाले नेवी मरीन कमांडोज और एनडीआरएफ को सफलता भी मिल चुकी है. शनिवार को दूसरी बस भी खोज ली गई है.
अंजलि कर्मकार / पंकज खेळकर