पराली प्रदूषण पर मनीष सिसोदिया ने मोदी सरकार से पूछे सवाल

मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि जहां मशीनें बांटी गईं हैं वहां भी किसान मशीनें इस्तेमाल कर रहे हैं या नहीं इसकी कोई रिपोर्ट नहीं है. इसका जवाब केंद्र सरकार दे?

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दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (फाइल फोटो) दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (फाइल फोटो)

पंकज जैन

  • नई दिल्ली,
  • 02 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 6:55 PM IST

  • सितम्बर और अक्टूबर में 3 बार मीटिंग रद्द करने का लगाया आरोप
  • सिसोदिया बोले-मशीनें बादकर केंद्र सरकार कर रही सिर्फ खाना पूर्ति

पराली के मसले पर केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे पर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार से सवाल पूछे हैं और साथ ही प्रदूषण के मुद्दे पर सितम्बर और अक्टूबर में 3 बार मीटिंग रद्द करने का आरोप भी लगाया है.

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मनीष सिसोदिया ने कहा, 'हवा की स्थिति को लेकर पूरा नार्थ इंडिया परेशान है. पूरा नार्थ इंडिया का इलाका धुएं की चपेट में है. दिल्ली के लिए लोग काफी कुर्बानी दे रहे हैं. दिल्ली में डीजल सेट से लेकर कंस्ट्रक्शन पर प्रतिबंध है. कूड़ा जलाने को लेकर भी सख्त कार्रवाई की जाती है.

केंद्र सरकार कर रही सिर्फ खाना पूर्ति

मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, 'केंद्र सरकार ने हलफनामे में लिखकर दिया है कि दिल्ली में प्रदूषण की मुख्य वजह पराली है. नार्थ इंडिया में 46 प्रतिशत प्रदूषण पराली के धुएं की वजह से है. केंद्र सरकार ने 2 साल में 63 हजार मशीनें हरियाणा और पंजाब के किसानों को दी हैं.

जबकि इन दोनों राज्यों में 26 लाख किसान हैं. यहां केंद्र सरकार सिर्फ खाना पूर्ति कर रही है. 63 हजार मशीनों से 26 लाख किसानों का काम कैसे चलेगा? ऐसे तो 60 साल लग जाएंगे 26 लाख मशीन मुहैया कराने में?

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जवाब दे केंद्र सरकार

मनीष सिसोदिया ने आगे कहा, 'जहां मशीनें बांटी गईं हैं वहां भी किसान मशीनें इस्तेमाल कर रहे हैं या नहीं इसकी कोई रिपोर्ट नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर केंद्र सरकार खुद मान रही है, इसका खुलासा होना जरूरी है. अगले 50 साल तक दिल्ली और आसपास के राज्यों के लोग क्या करें, इसका जवाब केंद्र सरकार दे?

डिप्टी सीएम ने कहा, 'प्रकाश जावड़ेकर को 26 सितंबर को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पराली से निपटने के लिए खत लिखा था. जिसके बाद प्रकाश जावड़ेकर द्वारा 12 सितंबर, 17 और 21 अक्टूबर को मीटिंग बुलाई लेकिन सभी मीटिंग रद्द कर दी गई. यह मीटिंग पराली प्रदूषण पर खासतौर पर होनी थी. केंद्र के पास समाधान क्या है? केंद्र सरकार डेडलाइन बताए? पराली जलने से रोकने के लिए उठाए गए कदम के बारे में बताए केंद्र सरकार. किसान को सुविधाएं दें, वो कोई चोर उचक्के नहीं है...'

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