बुद्ध पूर्णिमा 2020: क्यों राजकुमार सिद्धार्थ राजपाट छोड़ बने थे 'बुद्ध'?

वैशाख महीने में पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्‍म हुआ था. ऐसी मान्यताा है कि बुद्ध पूर्णिमा पर जल और वातावरण में विशेष ऊर्जा आ जाती है.

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इस साल बुद्ध पूर्णिमा 7 मई को मनाई जाएगी. इस साल बुद्ध पूर्णिमा 7 मई को मनाई जाएगी.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 मई 2020,
  • अपडेटेड 12:57 PM IST

हिंदू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्‍व बताया गया है. इस साल बुद्ध पूर्णिमा 7 मई को मनाई जाएगी. हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. माना जाता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने अपना 9वां अवतार भगवान बुद्ध के रूप में लिया था.

वैशाख महीने में पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्‍म हुआ था. ऐसी मान्यताा है कि बुद्ध पूर्णिमा पर जल और वातावरण में विशेष ऊर्जा आ जाती है. इस दिन चंद्रमा पूर्णिमा तिथि पर पृथ्वी और जल तत्व को पूर्ण रूप से प्रभावित करता है. चन्द्रमा इस तिथि के स्वामी होते हैं, अतः इस दिन हर तरह की मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है.

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क्यों राजकुमार सिद्धार्थ बन गए थे 'बुद्ध'?

भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में कपिलवस्तु के पास लुम्बनी नामक जगह पर हुआ था. बचपन में इनका नाम सिद्धार्थ था. एक बार सिद्धार्थ अपने घर से टहलने निकले तो उन्हें रास्त में बीमार व्यक्ति मिला. ये दिखने के बाद सिद्धार्थ के मन में प्रश्न आया कि क्या मैं भी बीमार पड़ूंगा. क्या मैं भी वृद्ध हो जाऊंगा, क्या मैं भी मर जाऊंगा.

जब सिद्धार्थ पानी की खोज में निकले तो उनकी मुलाकात एक सन्यासी से हुई जिसने भगवान बुद्ध को मुक्ति मार्ग के विषय में विस्तार पूर्वक बताया. इसके बाद सिद्धार्थ ने संन्यासी के रूप में जीवन को स्वीकर करने का फैसला कर लिया.

बुद्ध ने 29 वर्ष की उम्र में घर छोड़ दिया और सन्यास का जीवन बिताने लगे. उन्होंने एक पीपल वृक्ष के नीचे करीब 6 वर्ष तक कठिन तपस्या की. वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवन बुद्ध को पीपल वृक्ष के नीचे सत्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. भगवान बुद्ध को जहां ज्ञान की प्राप्ति हुई वह जगह बाद में बोधगया कहलाई. महात्मा बुध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया.

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