जानिये क्यों खास है यह बुद्ध पूर्णिमा

बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ती कर निर्वाण धारण किया था. जानें इस दिवस से जुड़ी कुछ और खास बातें...

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वंदना भारती

  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2017,
  • अपडेटेड 11:36 AM IST

बुद्ध पूर्णिमा दिवस भगवान बुद्ध की बुद्धत्व की प्राप्ति हेतु मनाया जाता है. इस दिन को बोद्ध धर्म के लोग ही नहीं, बल्कि हिंदु धर्म के लोग भी बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. दरसल, हिंदु धर्म के अनुसार बुद्ध भगवान ,भगवान विष्णु के 9वें अवतार हैं, इसलिए यह पर्व हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए भी बहुत खास होता है.

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क्या है इस पर्व की कहानी.

भगवान बुद्ध ने जब अपने जीवन में हिंसा, पाप और मृत्यू को जाना तब उन्होनें मोह माया त्याग कर अपने गृहस्त जीवन से मुक्ती ले ली और जीवन के इस कठोर सच की खोज में निकल पड़े. लाखों साल बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे तपस्या कर जब उन्हें इस ज्ञान की प्राप्ती हुई तो यह दिन पूरी सृष्टि के लिए खास दिन बन गया जिसे वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.

कैसे मनाया जाता है ये पर्व

बोद्ध धर्म मानने वाले लोगों के लिए ये सबसे बड़ा पर्व होता है. अलग अलग देश में रह रहे बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए इस त्यौहार को मनाने के रीति-रिवाज़ भी अलग अलग है. जैसे

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1.इस पर्व के दिन घरों और मंदिरों में अगरबत्ती और दीपक जलाकर उस स्थान को प्रकाशितऔर सुगंधित बनाया जाता है.

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2. प्रात: काल उठकर भगवान बुद्ध के मंदिरों में निरंतर पाठ किया जाता है जिसे करने दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी आते हैं. इसके के साथ  ही मंदिरों में फलों का चड़ावा भी होता है.

3.इस शुभ दिन बौध वृक्ष की पूजा भी की जाती है और उस पर दूध चड़ाया जाता है.

4.श्रीलंका में तो यह शुभ दिन 'वेसाक' के नाम से मनाया जाता है.

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5.बोधगया जैसे पावन तीर्थ स्थानों पर तो यह त्यौहार जोरों शोरों से मनाया जाता है. कहा जाता है कि जो इस दिन बोधगया के दर्शन करता है उसकी सारी मुरादें पूरी होती हैं.

इस दिन से जुड़ी कुछ खास बातें

1. इस दिन का सबसे शुभ काम होता है पिंजरे में बंद पक्षियों को आज़ाद करना. यह दृश्य देखने लायक होता है.

2. इसके अलावा इस दिन गरीबों में कपड़े और खाना बांटा जाता है.

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3. इस दिन कोई भी जना मासाहारी भोजन नहीं खाता.

4. नई दिल्ली में इस शुभ पर्व पर बुद्ध भगवान की अस्थियों को निकाला जाता है ताकी बौद्ध धर्म के अनुयायी आके दर्शन कर सकें.


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