महाराष्ट्र: हाईकोर्ट के आदेश के बाद खत्म हुई डॉक्टरों की हड़ताल

बंबई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन कर रहे रेजीडेंट डॉक्टरों से तुरंत काम पर लौटने को कहा था. इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह डॉक्टरों के लिए सुरक्षित माहौल कायम करें, जिससे कि वे बेखौफ होकर काम कर सकें. वहीं मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि सरकार ने हड़ताल करने वाले डॉक्टरों के प्रतिनिधियों से बात की है और उनकी सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है.

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महाराष्ट्र के करीब 4,000 रेजिडेंट डॉक्टरों पिछले चार दिनों से हड़ताल पर थे महाराष्ट्र के करीब 4,000 रेजिडेंट डॉक्टरों पिछले चार दिनों से हड़ताल पर थे

साद बिन उमर

  • मुंबई,
  • 23 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 1:18 AM IST

महाराष्ट्र में डॉक्टरों की हड़ताल खत्म हो गई है. बंबई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों से तुरंत काम पर लौटने को कहा था.

इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह डॉक्टरों के लिए सुरक्षित माहौल कायम करें, जिससे कि वे बेखौफ होकर काम कर सकें. वहीं मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि सरकार ने हड़ताल करने वाले डॉक्टरों के प्रतिनिधियों से बात की और उनकी सभी मांगों को स्वीकार कर लिया. हाईकोर्ट के इस आदेश और सरकार से मिले आश्वासन के बाद महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (MARD) ने राज्य के सभी डॉक्टरों से काम पर लौटने को कहा है.

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हड़ताल से चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अब मरीज के साथ 2 रिश्तेदार ही अस्पताल में एंट्री ले सकेंगे. हाईकोर्ट ने रेजिडेंट डॉक्टर को महाराष्ट्र सरकार के साथ मिलकर अपने तमाम मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने का निर्देश दिया है.

बता दें कि राज्य के करीब 4,000 रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है और वहां मरीजों की कतार लगी है. इस बीच चिकित्सा शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन ने प्रदर्शनकारी रेजिडेंट डॉक्टरों को चेतावनी दी थी कि अगर डॉक्टरों ने बुधवार रात 8 बजे तक काम शुरू नहीं किया, तो उन्हें छह महीने के वेतन का नुकसान होगा और निलंबन का सामना करना पड़ेगा.

महिला डॉक्टर पर मरीज के रिश्तेदारों का हमला
वहीं बुधवार रात यहां सायन अस्पताल की एक महिला डॉक्टर की एक मरीज के रिश्तेदारों ने कथित तौर पर पिटाई कर दी, जिससे प्रदर्शनकारी डॉक्टर और आक्रमक हो गए. सरकारी अस्पतालों में मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा उन पर हमले किए जाने की घटनाओं के मद्देनजर डॉक्टरों की मांग है कि उनकी सुरक्षा में इजाफा किया जाए.

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डॉक्टरों ने की सुरक्षा की मांग
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के एक प्रतिनिधि ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टरों को अस्पताल परिसर के संवेदनशील स्थानों पर सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों की जरूरत है और एक अलार्म प्रणाली भी होना चाहिए ताकि डॉक्टर सुरक्षाकर्मी को बुला सकें. उन्होंने कहा कि आम तौर पर निजी अस्पताल में चलने वाली पास व्यवस्था सख्ती से लागू की जानी चाहिए, ताकि मरीज को देखने आने वाले रिश्तेदारों की संख्या पर लगाम कसी जा सके. उन्होंने डॉक्टरों पर हमले के मामले को गैर जमानती अपराध बनाने और मामलों की त्वारित अदालतों में सुनवाई किए जाने की जरूरत बताई. ये हमारी मांगें हैं और हम चांद नहीं मांग रहे हैं. फिर भी राज्य सरकार इसे प्राथमिकता के आधार पर नहीं ले रही है.

हड़ताली डॉक्टरों के समर्थन में उतरा था IMA
वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी IMA ने भी रेजिडेंट डॉक्टरों के इस प्रदर्शन को अपना समर्थन दे दिया था. महाराष्ट्र में उसके करीब 40,000 सदस्य हैं. इस हड़ताल की वजह से राज्य में बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था को देखते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने भी रेजिडेंट डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने की अपील की थी. उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार अस्पतालों में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी. विधानसभा में बयान देते हुए फडनवीस ने डॉक्टरों से अनुरोध किया कि वे लोगों की सेवा करके अपनी व्यावसायिक आचार संहिता का पालन करें. उन्होंने कहा, डॉक्टरों पर हमला करने वाले कुछ गैरजिम्मेदार लोगों के कृत्यों की वजह से चिकित्सकीय सुविधाओं का लाभ उठाने के गरीबों के अधिकार को खारिज करना सही नहीं है. मैं डॉक्टरों और उनके संगठनों से हड़ताल समाप्त करने और काम पर लौटने की अपील करता हूं.

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फडणवीस बोले- सारी मांग कुबूल
फडणवीस ने कहा कि सरकार ने हड़ताल करने वाले डॉक्टरों के प्रतिनिधियों से बात की और उनकी सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है. मुख्यमंत्री ने कहा, राज्य ने डॉक्टरों की रक्षा करने वाले विशेष कानून लागू किए हैं. सजा की अवधि बढ़ा दी गई है और डॉक्टरों पर हमलों को गैर जमानती अपराध बना दिया गया है. उन्होंने कहा, कानूनों में लगातार सुधार करने की जरूरत है और सरकार चर्चा के लिए तैयार है. हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि डॉक्टरों पर हमले ना हों और अगर ऐसा होता है तो दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी.

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